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पूर्व फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद से विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उनके इस पद पर आसीन होने के बाद किन्नर अखाड़े में अंदरूनी कलह बढ़ गई है और अब इस विवाद का दायरा और गहरा हो गया है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने ममता के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है, जिसके चलते लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को लेकर भी कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
किन्नर अखाड़े में हो सकती है कार्रवाई..
अजय दास ने साफ कहा है कि ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने का निर्णय किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर के पद से हटाया जा सकता है। अजय दास के अनुसार, किन्नर अखाड़े के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है और इस मामले में आज दोपहर तक कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है। दूसरी ओर, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस निर्णय को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अजय दास किन्नर अखाड़े से पहले ही निष्कासित हो चुके हैं और अब उनका किन्नर अखाड़े में कोई स्थान नहीं है।
ममता के महामंडलेश्वर बनने से संत नाराज..
ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर कई संतों ने अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि इस पद के लिए सालों का तप और आध्यात्मिक अनुशासन चाहिए। एक व्यक्ति को इस प्रकार का पद एक दिन में कैसे दे दिया गया। बाबा रामदेव ने भी ममता के महामंडलेश्वर बनने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो पहले सांसारिक सुखों में लिप्त थे, वे अचानक संत बनने का दावा कर रहे हैं या महामंडलेश्वर जैसी उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, जो उनके लिए अस्वीकार्य है।
ममता ने क्या कहा..
ममता कुलकर्णी ने 24 जनवरी को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान महामंडलेश्वर पद ग्रहण करते हुए कहा कि यह अवसर 144 वर्षों बाद आया है और इसी के तहत उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल आदिशक्ति का करिश्मा हो सकता है। ममता ने किन्नर अखाड़े को इसलिए चुना क्योंकि यह स्वतंत्र अखाड़ा है, और यहां कोई बंदगी नहीं होती। उन्होंने जीवन में संतुलन की बात करते हुए कहा कि सब कुछ चाहिए—एंटरटेनमेंट भी चाहिए और ध्यान भी। उनका यह भी कहना था कि ध्यान वह चीज है जो केवल भाग्य से ही प्राप्त हो सकती है और सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने बहुत कुछ देखा था, फिर उनका जीवन एक बदलाव से गुजरा।
ममता की कड़ी परीक्षा..
महामंडलेश्वर बनाए जाने से पहले ममता ने कहा कि उनकी कड़ी परीक्षा ली गई थी। ममता के अनुसार, चार जगतगुरुओं ने उनसे कठिन सवाल पूछे थे और उनके उत्तरों से वे संतुष्ट हो गए थे। ममता ने यह भी बताया कि गुरुओं ने दो दिनों तक उनसे आग्रह किया था कि वह महामंडलेश्वर बनें। हालांकि, ममता ने इस अवसर पर कहा कि उन्हें इस कपड़े की कोई आवश्यकता नहीं है और उन्होंने इसे केवल तभी स्वीकार किया जब उन्होंने महसूस किया कि यह उनका कर्म है।
नतीजा..
ममता का महामंडलेश्वर बनना किन्नर अखाड़े के लिए एक ऐतिहासिक और विवादास्पद घटना बन चुकी है। जहां एक ओर कुछ लोग इसे एक नए बदलाव के रूप में देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई संत और किन्नर समाज के सदस्य इस फैसले को गलत मानते हुए विरोध कर रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि किन्नर अखाड़े में इस मुद्दे का हल कैसे निकाला जाता है और भविष्य में क्या कदम उठाए जाते हैं। यह विवाद केवल ममता की भूमिका तक सीमित नहीं है, बल्कि किन्नर अखाड़े की मान्यताओं और परंपराओं पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है।