परभणी में हुई हिंसा और हिरासत में एक दलित की मौत ने महाराष्ट्र की सियासत का पारा बढ़ाया

महाराष्ट्र के परभणी में हुई हिंसा और एक दलित एक्टिविस्ट की हिरासत में मौत ने सियासी महाराष्ट्र की सियासत का पारा बढ़ा दिया है. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर हिंसा वाले इलाके में परभणी का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि 100 परसेंट ये कोई साधारण मौत नहीं बल्कि हिरासत में की गई हत्या है.

राहुल गांधी ने परभणी में कहा, ‘मैंने परिवार और पीड़ितों से मुलाकात की. उन्होंने मुझे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, तस्वीरें और वीडियो दिखाए, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह हत्या हिरासत में की गई है.’ आगे उन्होंने कहा कि इस युवक को दलित होने और संविधान की रक्षा करने के कारण मारा गया. मुख्यमंत्री ने विधानसभा में झूठ बोला जिससे पुलिस को संदेश दिया जा सके. आरएसएस की विचारधारा संविधान को खत्म करने की है. गांधी ने इस मामले की तत्काल जांच और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की.

क्या है पूरा मामला?
यह मामला तब सामने आया जब 10 दिसंबर को संविधान की प्रतिमा से कथित छेड़छाड़ के बाद हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा के आरोप में 300 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया. इन गिरफ्तारियों में शामिल 35 साल के वकील और एक्टिविस्ट सोमनाथ सूर्यवंशी को तीन दिन बाद न्यायिक हिरासत में मृत पाया गया. इसके बाद से ही सरकार और विपक्ष में जमकर बवाल होने लगा. परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उनकी हत्या की और घटना के बारे में कोई सूचना नहीं दी.

विधानसभा में भी उठा मुद्दा
इस घटना को लेकर विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी ने फडणवीस सरकार को घेरा. मुख्यमंत्री ने मृतक के परिवार के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की. उन्होंने विधानसभा में कहा कि सूर्यवंशी को जब अदालत में पेश किया गया था, तो उन्होंने पुलिस प्रताड़ना से इनकार किया था. दूसरी ओर, सोमनाथ के भाई ने दोषी पुलिसकर्मियों को फांसी देने की मांग की है.

बीजेपी ने बताया ड्रामा
राहुल गांधी के दौरे को लेकर बीजेपी ने इसे ‘ड्रामा’ करार दिया. राज्य बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, ‘ऐसे ड्रामे की बजाय समाज के विकास पर ध्यान देना चाहिए.’ वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का दौरा केवल मगरमच्छ के आंसू बहाने जैसा है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलितों के सच्चे हितैषी नहीं हैं.

Related Articles

Back to top button