झारखंड सिविल सेवा परीक्षा की टॉपर शालिनी विजय की केरल में मिली लाश

पहली झारखंड सिविल सेवा परीक्षा (JPSC) की टॉपर शालिनी विजय की मौत पुलिस के लिए पहली बनी हुई है. उनकी लाश केरल के कोच्चि के एक सरकारी क्वार्टर में मिला है. साथ ही दो और शव मिले हैं. ये शव शालिनी विजय के भाई मनीष विजय और उनकी मां शकुंतला के हैं. मनीष विजय खुद आईआरएस अधिकारी थे. पहले जेपीएससी की नियुक्ति में अनियमितता को लेकर सीबीआई जांच कर रही है. JPSC अधिकारी शालिनी विजय से भी सीबीआई पूछताछ करने वाली थी.

प्रदेश में सिविल सेवा की परीक्षा झारखंड लोक सेवा आयोग आयोजित करता है. पहले जेपीएससी के 62 पदों के लिए साल 2002 के दिसंबर में विज्ञापन निकाला गया था. 17 अगस्त 2003 को पहले जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा हुई थी. परीक्षा में लगभग 80 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे, जबकि 5200 से ज्यादा अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में सफल घोषित किया गया था. लेकिन प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट विवादों में आ गया. इसके बाद पहले जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा रद्द कर दी गई थी.

2004 में दूसरी बार हुआ जेपीएससी एग्जाम
इसके बाद वर्ष 2004 के जनवरी में दूसरी बार प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई, जिसका परिणाम अप्रैल 2004 में जारी किया गया, जिसमें 9000 से ज्यादा अभ्यर्थी सफल हुए थे. इसके बाद मेंस परीक्षा आयोजित की गई और परीक्षा में धांधली का आरोप लगने लगा. दरअसल, जिन 62 पदों के लिए पहले जेपीएससी की परीक्षा ली जा रही थी, उसमें 92 सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाना था, जबकि झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से मेंस में सफल 246 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए लिस्ट जारी किया गया था. पहले जेपीएससी एग्जाम में शालिनी विजय टॉपर बनी थीं.

सीबीआई कर रही जांच
नियुक्ति और एग्जाम में अनियमितता मामले की सीबीआई जांच कर रही है. सीबीआई जांच के दायरे में पहली जेपीएससी की टॉपर शालिनी विजय भी थीं और उन्हें नोटिस भेजा गया था. हालांकि, सीबीआई जांच से पहले ही पहले जेपीएससी की टॉपर शालिनी विजय, उनके भाई आईआरएस अधिकारी मनीष विजय और मां शकुंतला विजय अग्रवाल की संदिग्ध परिस्थितियों में केरल के कोच्चि में शव बरामद हुए हैं.

शालिनी से सीबीआई करने वाली थी पूछताछ
क्या जेपीएससी स्कैम में नाम आने से अफसर शालिनी विजय डिप्रेशन में थीं? यह सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सीबीआई इस मामले में शालिनी से पूछताछ करने वाली थी. हालांकि, इसका जवाब पुलिस अपनी जांच में ही बता पाएगी. पहले जेपीएससी, दूसरे जेपीएससी समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की सीबीआई जांच जल्द पूरी करने को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है, जिस पर 17 मार्च को अगली सुनवाई होनी है.

70 लोगों का नाम चाजशीट में
पहले और दूसरे जेपीएससी नियुक्ति में अनियमितता मामले में उस वक्त के तत्कालीन झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष दिलीप प्रसाद समेत लगभग 70 लोगों का नाम चाजशीट में है. चार्जशीट में कुछ ऐसे भी अधिकारी के नाम हैं, जो उस वक्त झारखंड में डीएसपी के पद पर नियुक्त हुए थे और वर्तमान में बतौर एसपी जिला संभाल रहे हैं.

साल 2012 में जेपीएससी की नियुक्ति में हुई. कथित घोटाला और अनियमितता को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था. जुलाई 2012 से सीबीआई ने पहले जेपीएससी, दूसरे जेपीएससी समेत 12 परीक्षाओं की जांच शुरू की थी. पहले जेपीएससी से वर्ष 2004 में 62 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था, जबकि वर्ष 2008 में दूसरे जेपीएससी से 172 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था. पहले और दूसरे जेपीएससी की नियुक्ति में धांधली और अनियमितता की सीबीआई जांच वर्ष 2012 से चल रही है, इस जांच के दायरे में मृतक शालिनी विजय भी थीं.

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