पीलीभीत। प्रभु एन. सिंह, आयुक्त,गन्ना एवं चीनी उत्तर प्रदेश ने सभी जिला गन्ना अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वह गन्ने की फसल के पीली पड़ने एवं इसके निदान हेतु कृषकों को जागरुक करें। वर्तमान समय में कहीं-कहीं पर गन्ने की फसल पीली हो रही है तथा पीली पड़ने के बाद सूख भी रही है। फसल के पीली होने का कारण सामान्य से कम वर्षा, आर्द्रता कम होना, मृदा में नमी का अभाव व उच्च तापक्रम है जो कि उकठा रोग एवं जड़-बेधक कीटों के लिये अनुकूल मौसम होता है। इसके अत्तिरिक्त गन्ने की कुछ किस्में भी ऐसी हैं जिनमें उकठा रोग अधिक लगता है जैसे कि को. 11015, को. 15027, को. बी. एस. आई. 8005, को. बी. एस. आई. 3102, को. बी. एस. आई. 0434। यह उत्तर प्रदेश के लिये अनुमोदित भी नहीं हैं, परन्तु कुछ कृषकों द्वारा बो दी गयी हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के लिये अनुमोदित किस्म को. 0118, को. 15023 में भी इसका प्रकोप कहीं-कहीं दिखाई पड़ रहा है। उकठा रोग के निदान हेतु खड़ी फसल पर सिस्टेमिक फंजीसाइड थायोफिनेट मिथाइल 1.3 ग्राम प्रति लीटर पानी ( 520 ग्राम +400 ली. पानी प्रति एकड़ ) की दर से मे घोलकर छिड़काव करें। अथवा कारबेंडाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी ( 800 ग्राम दवा + 400 लीटर पानी प्रति एकड़ ) की दर घोलकर 15-20 दिन के अतंराल पर ड्रेंचिंग करें। जड़ बेधक कीटों के नियंत्रण हेतु फिप्रोनिल अथवा क्लोरपायरिफॉस या इमिडा का प्रयोग करें। किसान भाइयों से अनुरोध है कि वह नत्रजन उर्वरकों का अधिक प्रयोग न करें। इसके अलावा अनावश्यक रूप से बिना वैज्ञानिक संस्तुति के कृषि रसायनों का प्रयोग न करें।
गन्ना आयुक्त के निर्देश के क्रम में ख़ुशी राम भार्गव जिला गन्ना अधिकारी पीलीभीत ने गन्ना विकास परिषद मझोला के ग्राम ललपुरिया एवं गन्ना विकास परिषद पीलीभीत के ग्राम जतीपुर में गन्ना फसल की स्थिति का जायजा लिया, प्राथमिक कैलेण्डर वितरण का निरीक्षण किया और कृषकों से संवाद किया। फसल की स्थिति के आधार पर कृषकों को आवश्यक सुझाव दिये गये। जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि शरदकालीन गन्ना बुवाई का समय प्रारम्भ हो रहा है। किसान भाई बुवाई के लिये अनुमोदित किस्मों का ही चयन करें एवं स्वस्थ नर्सरी से स्वस्थ बीज का प्रयोग करें। ऐसी किस्मों की बुवाई बिल्कुल न करें जो उत्तर प्रदेश हेतु अनुमोदित नहीं हैं। बुवाई से पहले बीज का उपचार सिस्टमिक फंजीसाइड कारबेंडाजिम 0.1 प्रतिशत का घोल बनाकर 10 मिनट तक डुबोकर करें। उकठा रोग से बचाव हेतु 6 किलोग्राम बोरेक्स तथा 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बुवाई के समय प्रयोग करें। संवाद में कृषक श्री प्रभजीत सिंह, दारा सिंह, मक्खन सिंह, अमरजीत सिंह, निर्वैल सिंह, ज्वाला प्रसाद, जगवीर सिंह, हरीश कुमार, शोभाराम, ओमप्रकाश, भद्रपाल, राम मूर्ति, प्रमोद, सुमित, प्रमेन्द्र कुमार आदि ने प्रतिभाग किया।कार्यक्रम में ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक पीलीभीत राम भद्र द्विवेदी, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक, मझोला विजय लक्ष्मी,सचिव पीलीभीत एवं मझोला प्रदीप अग्निहोत्री एवं एल.एच. शुगर मिल से जी.एम. केन . के.बी. शर्मा के साथ अन्य फील्ड स्टाफ उपस्थित रहे हैं।