-केदारनाथ की जनता ने रखा मोदी का मान, बद्रीनाथ की हार के बाद जरूरी थी जीत
देहरादून। केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा की शानदार जीत उसके लिए बाबा केदार के आशीर्वाद सरीखी है। केदारनाथ धाम के देश दुनिया में ब्रांड एंबेसडर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी केदार घाटी ने मान रखा है। अयोध्या में लोक सभा चुनाव में हार के बाद एक खास नरेटिव सेट करने को विपक्ष प्रयासरत रहा है, लेकिन केदारनाथ में स्थिति संभल गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी इस जीत ने ताकत दी है, जिन्होंने भाजपा के लिए जमकर पसीना बहाया था।
केदारनाथ उपचुनाव के दौरान कुछ सवाल प्रमुखता से उभर रहे थे। मसलन, वर्ष 2013 की आपदा से तहस नहस हुई केदारपुरी को संवारने के लिए जो तपस्या मोदी ने की है, उसे जनता कितना याद रखेगी। केदारनाथ में विकास का जो काम अब भी लगातार चल रहा है, उसका कितना प्रभाव रहेगा। राज्य की धामी सरकार के प्रयासों से चार धाम यात्रा हर वर्ष यात्रियों की संख्या के जो नए रिकॉर्ड बना रही है, उसे मतदाता वोट डालते समय कहीं भूल तो नहीं जायेंगे। आखिर ये मामूली बात नहीं कि हाल में संपन्न हुई चारधाम यात्रा में अकेले केदारनाथ धाम में 16 लाख से ज्यादा यात्रियों की आमद दर्ज हुई है। इन स्थितियों के बीच, मतदाताओं ने सब कुछ याद रखा और केंद्र व राज्य सरकार के काम पर ऐसी मुहर लगा दी है कि किसी के लिए कुछ कहने को नहीं रहा है।
चुनाव में भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल की साफ सुथरी छवि का भाजपा को फायदा मिला। सबसे बड़ा लाभ भाजपा को निर्दलीय त्रिभुवन चौहान के दमदार प्रदर्शन से मिला, जिसने भाजपा विरोधी वोट विभाजित कर दिए। नाै हजार से ज्यादा वोट हासिल करने वाले चौहान ने कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की राह ही कठिन की।
भाजपा इस बात पर और खुशी मना सकती है कि इस जीत से उसके विरोधियों के उस प्रचार की हवा भी निकल गई, जो कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की स्थापना और केदारनाथ मंदिर के सोने का पीतल में परिवर्तित हो जाने के आरोप से संबंधित था। भाजपा हारती तो इन आरोपों को मजबूती ही मिलती। जल्द ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली करने जा रहे महेंद्र भट्ट की विदाई अब सुकून भरी होगी। बद्रीनाथ और मंगलोर उपचुनाव की हार की मायूसी केदारनाथ में धुल गई है।