तेलंगाना में आज से जातिगत जनगणना शुरू हो रही है. तेलंगाना सरकार ने घोषणा की है कि यह सर्वेक्षण लोगों के दरवाजे तक पहुंचेगा. इसका मकसद लोगों के आर्थिक और सामाजिक आंकड़े जातिगत आधार पर एकत्र करना है, जिसके आधार पर समाज के सभी वर्गों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक आधार पर पिछड़े लोगों की पहचान की जाएगी. राज्य सरकार इस सर्वेक्षण को एक महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा है. सरकारी अधिकारियों के अलावा कांग्रेस के नेता भी इस सर्वेक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेंगे, ताकि लोगों को प्रेरित किया जा सके और अधिकारियों को सहायता प्रदान की जा सके.
प्रत्येक सर्वेक्षक लगभग 150 घरों का दौरा करेगा और लोगों से 50 से अधिक प्रश्न पूछेगा. राज्य सरकार का मानना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण और विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा.
क्या बोले राहुल गांधी?
लोकसभा विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह केवल जाति सर्वेक्षण नहीं है, बल्कि यह विकास के लिए एक ढांचा तैयार करने का प्रयास है. उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य सरकार के जाति सर्वेक्षण में कुछ कमियां हो सकती हैं, लेकिन उन्हें दूर कर लिया जाएगा. राहुल गांधी ने कहा, “हमें यह समझना होगा कि भारत में भेदभाव की स्थिति गंभीर है और इसका असर हमारे संविधान पर भी पड़ता है.”
PM मोदी पर साधा निशाना
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि प्रधानमंत्री ने अभी तक यह स्पष्ट क्यों नहीं किया कि वह भारत में भेदभाव को समाप्त करना चाहते हैं. उन्होंने पूछा “प्रधानमंत्री यह पूछने से क्यों डरते हैं कि कॉरपोरेट, न्यायपालिका, और मीडिया में कितने दलित, ओबीसी, और आदिवासी हैं?” राहुल गांधी ने कहा कि वह “ब्यूरोक्रेटिक जाति जनगणना” के पक्ष में नहीं हैं, जिसे सरकारी अधिकारी डिजाइन कर रहे हैं. इसके बजाय वे चाहते हैं कि दलित, ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्ग खुद यह तय करें कि इस सर्वेक्षण में कौन से प्रश्न पूछे जाने चाहिए.