वाराणसी जिला अदालत के व्यास जी तलगृह में पूजा के आदेश के बाद इस तरह आगे बढ़ा मुकदमा

वाराणसी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तलगृह में मंदिर पक्ष के पूजा करने के अधिकार को बरकरार रखा है। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने पं. सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से दाखिल मुकदमे में तलगृह में नियमित पूजा-अर्चना का आदेश बीते 31 जनवरी को अपने कार्यकाल के अंतिम दिन दिया था।

जिला अदालत ने दिया था व्यास जी के तलगृह में पूजा के आदेश

जिला जज ने आदेश में वादी और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा निर्दिष्ट पुजारी से तलगृह में मूर्तियों के नियमित पूजा-पाठ, राग-भोग का इंतजाम करने का आदेश जिलाधिकारी को दिया था। अदालत के आदेश के अनुपालन में स्थानीय प्रशासन ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से बैरिकेडिंग काटकर उसी रात पूजा-पाठ का इंतजाम कर दिया था। अगले दिन भोर से नियमित पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। इससे पहले अदालत के आदेश पर व्यास जी के तलगृह को जिला प्रशासन ने अपनी अभिरक्षा ले लिया था। 

वादी ने प्रार्थना पत्र में कहा था कि मंदिर भवन के दक्षिण दिशा में स्थित तलगृह में दिसंबर 1993 तक मूर्ति की पूजा होती थी। 1993 में राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने बगैर किसी विधिक अधिकार के वहां बैरिकेडिंग कर पूजा रोक दी थी। इस बात के पर्याप्त आधार हैं कि वंशानुगत आधार पर पुजारी व्यास जी ब्रिटिश शासन काल में भी वहां काबिज थे और वहां पूजा-अर्चना होती रही। हिंदू धर्म की पूजा संबंधी सामग्रियां, प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्रियां उक्त तलगृह में अब भी हैं। 

अदालत के आदेश पर जिलाधिकारी नियुक्त हुए हैं तलगृह के रिसीवर

17 जनवरी 2024 को अदालत ने जिलाधिकारी को तलगृह का रिसीवर तो नियुक्त किया, लेकिन तलगृह में पूजा-अर्चना संबंधी कोई आदेश नहीं दिया। वादी शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से व्यास परिवार का वसीयतनामा, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और वादी के बीच सेवइतनामा भी अदालत में प्रस्तुत किया गया था। इनका अवलोकन करने के बाद अदालत ने रिसीवर जिला मजिस्ट्रेट को तलगृह में सात दिनों के भीतर पूजा-पाठ, राग-भोग के लिए मूर्तियां स्थापित कराने और अन्य प्रबंध करने का आदेश दिया था।

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