रामचरित मानस के दाेहाें और चाैपाइयाें से गूंजेगा दिल्ली विश्वविद्यालय का परिसर

नई दिल्ली। संस्कृति संज्ञान संस्था एवं दिल्ली विश्वविद्यालय का हिंदू अध्ययन केंद्र 23 अगस्त 2024 को “मानवता के लिए श्रीरामचरित मानस” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयाेजन करने जा रहा है। इस संगाेष्ठी का आयाेजन 23 अगस्त काे दिल्ली विश्वविद्यालय के सभागार में हाेगा। इस माैके पर रामचरित मानस के दाेहाें व चाैपाइयाें की प्रतियाेगिता हाेगी। यह पहला माैका हाेगा जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रांगण रामचरित मानस की दाेहाें व चाैपाइयाें से गूंजेगा। संस्कृति संज्ञान संस्था द्वारा बुधवार काे एक जारी बयान में यह जानकारी दी गई।

संस्कृति संज्ञान संस्था के मुताबिक इससे एक दिन पहले 22 अगस्त को हिंदू अध्ययन केंद्र में सुबह 11 बजे से 4 बजे तक श्रीरामचरित मानस के दोहों और चौपाइयों पर छात्रों के बीच एक प्रतियोगिता आरंभ हाेगी। संस्कृति संज्ञान संस्था विगत कई वर्षों से भारतीय समाज में सनातन संस्कृति और सभ्यता के पुनरुत्थान कार्य में जुटी हुई है। संस्था का प्रयास है कि दिसंबर 2030 तक भारतवर्ष का हर परिवार श्रीरामचरितमानस का नित्य पाठ कुछ समय के लिए अवश्य करे। इसके द्वारा परिवार और समाज में सुख शांति और समृद्धि आएगी।

संस्कृति संज्ञान संस्था से जुड़े बुद्धिजीवियों ने इस अमूल्य ग्रन्थ का व्यावहारिक और वैज्ञानिक विश्लेषण करने हेतु 212 पृष्ठों की “मानस के मोती” स्मारिका का प्रकाशन किया है। इसमें श्रीरामचरित मानस के जाने-माने बुद्धिजीवियों द्वारा मानस के अनेक आयामों पर व्यावहारिक और वैज्ञानिक विश्लेषण द्वारा परिवार और समाज को लाभान्वित करने वाले सूत्रों पर चर्चा की गई है। संस्था परिवार और समाज को श्रीरामचरित मानस का नित्य पाठ करने काे प्रोत्साहित करने हेतु 18 से 20 हजार पुजारियों को भी संस्था से जोड़ा है और इन पुजारियों के प्रयास से भी अनेक परिवारों में श्रीरामचरित मानस का नित्य पाठ शुरू कराया जा रहा है। समाज का भी एक कर्तव्य है कि पुजारी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुधारने में मदद करे।

संस्कृति संज्ञान संस्था के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य विद्यार्थियों के माध्यम से परिवार, समाज, राष्ट्र और समस्त मानवता को एक संदेश देना है। चूंकि, इन दिनाें छात्रों के बीच अवसाद, तनाव और आत्महत्या (सुसाइड) की प्रवृत्ति में बढ़ रही है ऐसे में श्रीरामचरित मानस उनके आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य में लाभदायक साबित हाेगा।

संस्कृति संज्ञान संस्था की स्मारिका के 10वें और 24वें अध्याय में इसका व्यावहारिक और वैज्ञानिक विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि श्रीरामचरित मानस का नित्य पाठ इन समस्याओं का एक रामबाण इलाज है। पर्यावरण संरक्षण पर हमारी सरकार, समाज एवं अन्य देश प्रेमी लोग एक अभियान चला रहे हैं। स्मारिका के अध्याय 2 में श्रीरामचरित मानस द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए जो संदेश दिया है वह समाज के लिए बहुत ही लाभदायक है।

संस्कृति संज्ञान संस्थान ने 3 महीने का कर्मकांड का एक कोर्स पुजारियों के लिए करवाना शुरू किया है ताकि पुजारी कर्मकांड की विधि को करने का सरल, सही और आकर्षक तरीका जान सकें। यह प्रशिक्षण लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के सहयोग से किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में उत्तीर्ण 33 पुजारियों को इसी कार्यक्रम में प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।

Related Articles

Back to top button