- ग्रामीण इलाकों में धधक रहीं अवैध शराब की भट्ठियां,बनी पुलिस और आबकारी की कमाई का जरिया
- सैकड़ों मौत के बाद भी नहीं रुका अवैध शराब का धंधा, ग्रामीण इलाकों में अब भी धधक रहीं भट्ठियां
लखनऊ- प्रदेश के कुशीनगर और सहारनपुर , रायबरेली, अलीगढ़ सहित अन्य जिलों में सैकड़ों जिंदगी लीलने वाली जहरीली शराब ने नौ साल पहले राजधानी में भी कोहराम मचाया था। मलिहाबाद के दतली और खड़ता गांव में जहरीली शराब से 100 से अधिक मौतों के बाद तत्कालीन सरकार ने बड़े स्तर पर कार्रवाई की लेकिन अवैध शराब के धंधे पर अब तक लगाम नहीं लग सकी। ग्रामीण इलाकों और हाइवे के थाना क्षेत्रों में आज भी गांव-गांव शराब की भट्ठियां धधक रही हैं।आबकारी विभाग और पुलिस की टीमें इस कारोबार पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही हैं। यह कारोबार पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से फल-फूल रहा है। कोई बड़ी घटना होने के बाद पुलिस-प्रशासन कार्रवाई करता है। लेकिन कुछ ही दिन में नतीजा वही ढाक के तीन पात। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध शराब की भट्ठियां, पुलिस और आबकारी विभाग के लिए बड़ी कमाई का जरिया हैं। इसलिए इन पर पूरी तरह से रोकथाम नहीं लगाई जा रही है। एक जगह शराब बंद होती है तो वही लोग दूसरी जगह शराब बनाने लगते हैं।वहीं आबकारी विभाग के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा जिला आबकारी अधिकारी का प्रमोशन हो गया है, वह जल्दी ही यहां से ट्रांसफर होने वाला है। इसलिए वे यहां अपना समय काट रहें हैं, और जिले में हो रहे शराब के अवैध कारोबार की तरफ़ ध्यान नहीं दे रहें हैं। जिससे जिले में एक बार फिर अवैध शराब के कारोबारी पूरी तरह से बेलगाम हो गए हैं। यही कारण है कि जिले में अंग्रेजी, देसी एवं कच्ची शराब का कारोबार अपने चरम पर है।
11 जनवरी 2015 को हुआ था राजधानी का सबसे बड़ा शराब कांड
मलिहाबाद में दतली और खड़ता गांव में 11 जनवरी 2015 को राजधानी का सबसे बड़ा शराब कांड हुआ था। इस कांड में मलिहाबाद, बंथरा, सरोजनीनगर के अलावा उन्नाव और रायबरेली के 102 लोगों की मौत हो गई थी। दतली और खड़ता गांव के हर घर में कोई न कोई महिला विधवा हुई थी। वहां क्रिकेट मैच के फाइनल में लोगों को जहरीली शराब बांटी गई थी। शराब पीने के घंटेभर बाद ही लोगों पर असर दिखना शुरू हो गया था। जहरीली शराब का असर आज भी कई लोगों पर है। उनकी आंखों की रोशनी या तो जा चुकी है या फिर कम हो गई है।
घातक रसायन के इस्तेमाल से जानलेवा हो जाती है शराब
अवैध शराब के कारोबारी कच्ची शराब में नशा बढ़ाने के लिए घातक रसायन का इस्तेमाल करते हैं। स्प्रिट, नौसादर, यूरिया, धतूरा व नीम की पत्नी सामान्य तौर पर इस्तेमाल होती हैं। कुछ शराब कारोबारी ऑक्सीटोसिन नाम का इंजेक्शन प्रयोग करते हैं तो कुछ कीटनाशक भी मिलाते हैं। मलिहाबाद के दतली और खड़ता गांव में कच्ची शराब का नशा बढ़ाने के लिए मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल किया गया था। इस केमिकल की मात्रा ज्यादा होने से कुछ ही घंटे में मौत हो जाती है। आंखों की रोशनी चली जाती है। आंतें कट जाती हैं पेट में घाव हो जाते हैं।
इन इलाकों में होता अवैध शराब का कारोबार
मलिहाबाद : दूसरी जगह शिफ्ट हुआ शराब का धंधा
यहां दतली और खड़ता गांव में हुए शराब कांड के बाद पुलिस की सख्ती से शराब का धंधा दूसरी जगह शिफ्ट हो गया। फिलवक्त रहीमाबाद इलाका अवैध शराब का गढ़ बन गया है। यहां के रामनगर, रुसेना, मवईकला, कैलाखेड़ा, सरैया, भदौरियाखेड़ा, मोहज्जीपुर तथा मोहान रोड के घोला गांव में अवैध शराब की भट्ठियां धधक रही हैं।
निगोहां : इस थाना क्षेत्र में सई नदी अवैध शराब के कारोबारियों के लिए वरदान से कम नहीं। यहां करनपुर, निगोहां, भददीखेड़ा, रानीखेड़ा, लालताखेड़ा सहित कई गांवों में शराब बिकती है। नदी के किनारे स्थित राती, रंजीतखेड़ा, जवाहरखेड़ा, मंगईया, बावलिया गांव में शराब कारोबारी खुलेआम धंधा करते हैं और थाना क्षेत्र के गांवों में आकर बेचते हैं। पुलिस की दबिश पड़ने पर नदी में कूदकर भाग जाते हैं। यहां उन्नाव के असरेंदा गांव से भी भट्ठियों में तैयार कच्ची शराब की बड़ी खेप आती है।
काकोरी : दुबग्गा इलाकों की कई कॉलोनियों सहित बेहता किनारे बसे खालिसपुर, लुधौसि, अल्लूपुर, दशहरी, मौरा, बड़ा गांव, काजीखेड़ा व गोमती किनारे बसे सैथा, जेहटा, मौरा, बरावन कला समेत दर्जनों गांव में धड़ल्ले से कच्ची शराब बनाई जा रही है। शाम होते ही कारोबारी जनरल स्टोर, बागों में बनी झोपड़ी एवं बेहता नाले के किनारे अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। आबकारी और पुलिस की साठगांठ से आबादी के अंदर घरों में शराब तैयार की जा रही है। कस्बा कटरा बाजार, दुर्गागंज, दुबग्गा, मोहान रोड, जेहटा रोड स्थित अंग्रेजी शराब की दुकानों पर मिलावट की भी कई शिकायतें मिली हैं। अक्सर मिलावटी शराब की शिकायत को लेकर ग्राहकों और सेल्समैन के बीच विवाद भी होता रहता है।
माल : पड़ोसी जिलों में भी होती सप्लाई
यहां दर्जनों गांवों में अवैध शराब की भट्ठियां कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो चुकी हैं। कई गांव ऐसे हैं जो थाने के एक किलोमीटर की परिधि में हैं। इसके बावजूद पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। अवैध शराब का धंधा रामनगर,खखरा, चौकी, थरी, शाहमऊ, गौरैया, कोलवा, तेहतना, बाजार गांव, रुदानखेड़ा, जगदीशपुर, पतौना, अटवा, हद्दो, मसीढ़ा पीरनगर, करौरा, जिंदाना, दन्नौर, बहरौरा में बड़े पैमाने पर होता है। इन गांव से शराब की सप्लाई सीतापुर, उन्नाव, बाराबंकी केसीमावर्ती गांवों तक होती है।
इटौंजा : डेढ़ दर्जन गांवों में चल रहा धंधा
सीतापुर, हरदोई और बाराबंकी बार्डर से सटा होने के चलते यहां अवैध शराब का धंधा खूब फल-फूल रहा है। यहां के लासा, दुघरा, जमखनवां, खानपुर, बहादुरपुर, सुल्तानपुर, भोपालपुर, सहादतनगर गढ़ा सहित डेढ़ दर्जन गांवों में सैकड़ों लोग अवैध शराब बनाने और बेचने का काम करते हैं।
मोहनलालगंज : पुलिस का दावा, नहीं बिकती अवैध शराब
यहां इंद्रजीतखेड़ा, भीलमपुर और केसरीखेड़ा गांव अवैध शराब के धंधे के लिए बदनाम हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि लगातार कार्रवाई के चलते कई महीने से उपरोक्त गांवों में शराब का धंधा पूरी तरह से बंद हो चुका है। लेकिन यहां लगातार अवैध शराब की भट्ठियां धधक रहीं हैं।