लखनऊ। मुख्तार पर जब कानूनी शिकंजा कसा था, तो उसे पंजाब की जेल में शरण लेनी पड़ी थी। कई संगीन मामलों में उसके विरुद्ध गवाही भी पूरी हो चुकी थी। तभी वर्ष 2019 में वह पंजाब में दर्ज उसके विरुद्ध धोखाधड़ी के एक मामले में रोपड़ (पंजाब) जेल चला गया था। उत्तर प्रदेश में दर्ज मुकदमों में नोटिस दिए जाने पर मुख्तार ने अपनी बीमारी का हवाला दिया था और वह यहां पेशी पर नहीं आ रहा था।
बार-बार नोटिस के बाद भी मुख्तार के न आने पर यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और अभियोजन विभाग ने मुख्तार के बीमार होने के बावजूद दिल्ली की कोर्ट में पेशी पर जाने की दलील दी थी, जिसके बाद उसको उत्तर प्रदेश की जेल में वापस लाया जा सका था। अप्रैल 2021 में कड़ी सुरक्षा में पंजाब से लाकर बांदा जेल में दाखिल कराया गया था।
अभियोजन में लगा चुका था सेंध
एक समय था, जब माफिया मुख्तार की पुलिस से लेकर अभियोजन विभाग में गहरी पैठ भी थी। लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में वर्ष 1999 में दर्ज गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमे में भी मुख्तार को कोर्ट ने 23 दिसंबर, 2020 को दोषमुक्त कर दिया था। दरअसल, इस मामले में तत्कालीन सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी), फौजदारी ने 16 जनवरी, 2021 को दोषमुक्ति की जो रिपोर्ट बनाई थी, उसमें मुख्तार जैसे अपराधी को बरी किए जाने का विरोध किया जाना उचित नहीं समझा था।
मामले में विधिक विरोध करने के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर करने को भी उचित नहीं माना था। रिपोर्ट में मामले को किसी अपील अथवा पुनरीक्षण योग्य भी नहीं माना था। इसके अलावा मुख्तार को लखनऊ के आलमबाग थाने में दर्ज जेलर को धमकाने के जिस मामले में सात वर्ष की सजा सुनाई गई थी, उसमें भी पूर्व में वह दोषमुक्त हो चुका था। इस मामले में भी दोषमुक्ति के विरुद्ध अपील का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया था। मुख्तार के विरुद्ध दर्ज मामलों की मानीटरिंग के इसकी जांच कराई थी, जिसमें यह खेल खुला था।
कुख्यात मुनीर व खान मुबारक की भी हुई थी बीमारी से मौत
मुख्तार से पूर्व एनआइए अधिकारी तंजील अहमद के हत्यारोपित कुख्यात मुनीर की भी जेल में बीमारी से मृत्यु हो गई थी। सोनभद्र जेल में बंद मुनीर को इलाज के लिए बीएचयू वाराणसी में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मृत्यु हो गई थी। वहीं कुख्यात खान मुबारक की भी हरदोई जेल में बीमारी से मृत्यु हुई थी।