सुलतानपुर। जिस मां की गोद में उसने न जाने कितनी बार मल-मूत्र त्यागा होगा, उसी मां को दस्त आने लगी तो पुत्र ने गला रेतकर सिर कुएं में फेंक दिया। अवाक पिता ने खुद को संभाला और न केवल बेटे के विरुद्ध एफआइआर लिखाई बल्कि न्यायालय में गवाही भी दी।
गुरुवार को जब अदालत ने दोषी बेटे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो पिता की टीस उभर आई। पत्नी को खोने का दुख बयां करते हुए इतना ही कहा, “बेटा पगला गया था, उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, वरना कोई बेटा ऐसा करता।”
यह घटना तो दस वर्ष पहले की है, लेकिन गुरुवार को सजा की घोषणा होते ही गांव के हर घर में उसकी याद ताजा हो गई। सहायक शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर शुक्ल ने बताया कि मामला साल 2014 का है। जयसिंहपुर कोतवाली में सुकई विश्वकर्मा ने रिपोर्ट लिखाई कि उसकी पत्नी रामलली के पेट में दर्द था, जिसकी दवा लेने वह बाजार गया था।
वापस आने पर देखा कि पुत्र महेंद्र खून से लथपथ है और पत्नी का धड़ रजाई में लिपटा पड़ा था। पूछने पर बेटे ने बताया कि उसने मां का सिर काटकर कुएं में फेंक दिया है। कारण यह था कि पेट खराब होने के कारण मां बार-बार नल के पास शौच कर देती थी।
पुलिस ने कटे सिर को कुएं से निकाला और महेंद्र को जेल भेज दिया। कुल सात गवाह न्यायालय में पेश कराए गए। उसे दोषी करार देते हुए एडीजे जलाल मोहम्मद अकबर ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई।