उत्तरप्रदेश में कभी कांग्रेस के रहे वर्चस्व के बाद बारी – बारी से बसपा , सपा और भाजपा का वर्चस्व रहा है । इस समय वहां भाजपा के योगी जी का शासन कायम है पर पिछले 2024 लोकसभा चुनाव में सपा द्वारा 37 सीट जीत लेने के बाद उसका बर्गिन पॉवर बढ़ गया है । आगामी 13 नवम्बर को होने वाले उपचुनाव में सपा पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) फार्मूले के साथ लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन करने वाली सपा उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल मान रही है। यही कारण है कि सपा ने कांग्रेस के दबाव में आए बिना हर सीट पर अपने प्रत्याशियों को पहले ही उतारने की घोषणा कर दी थी । शिवपाल सिंह यादव सहित कई बड़े नेताओं को चुनाव प्रभारी बनाया गया। अब सपा के सामने जहां वर्ष 2022 की जीती हुई सीटों पर अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है, वहीं, भाजपा के हिस्से वाली सीटों पर सपा को अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारने की चिंता भी।
इस चुनाव में इंडिया गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस उत्तरप्रदेश के इस उपचुनाव में लगभग बाहर हो गई है ,बाकी अब सपा और भाजपा में ही मुख्य मुकाबला होना था पर मायावती की बसपा ने भी इंट्री करली है । वैसे तो बसपा हमेशा उपचुनावों से दूर रहती है पर इस चुनाव वह भी 9 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ रही है । अब मुकाबला त्रिकोणीय होना तय है ।इस चुनाव में बात करे सपा की तो सपा की चिंता इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि पश्चिमी यूपी में पिछली बार उसको रालोद का साथ मिला था। इस बार रालोद भाजपा के साथ है। वहीं, सपा आईएनडीआई गठबंधन में जिस कांग्रेस के साथ लड़ने की सोच रही थी उसका पिछले विधानसभा का प्रदर्शन निराशाजनक था इसी कारण शायद सपा उससे दूर हो गई ।
जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है उसमें भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद, खैर और फूलपुर जीती थी। मझवां सीट एनडीए गठबंधन की निषाद पार्टी ने जीता था। वहीं, सपा गठबंधन में रहते हुए मीरापुर सीट पर राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी। इस बार राष्ट्रीय लोकदल भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। सपा ने अपने चुनाव चिन्ह पर सीसामऊ, करहल, कटेहरी और कुंदरकी सीट जीती थी। करहल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई है।करहल जहां सपा के लिए नाक का सवाल बन गई है, वहीं, सीसामऊ, फूलपुर, कुंदरकी और कटेहरी की हार- जीत उनके वरिष्ठ नेताओं का कद भी तय करेगी।
सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव कटेहरी के चुनाव प्रभारी हैं। इस सीट की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ली है। इसी तरह वीरेंद्र सिंह को मझवां, चंद्रदेव यादव को करहल, इंद्रजीत सरोज को फूलपुर और राजेंद्र कुमार को सीसामऊ सीट का प्रभारी बनाया गया है। फूलपुर सीट वर्ष 2012 में सपा जीती थी। हालांकि, वर्ष 2017 में इसे भाजपा ने सपा से छीन लिया था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर सीट पर भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। भाजपा के प्रवीण सिंह पटेल से सपा के मो. मुज्तबा सिद्दीकी केवल 2732 वोटों से हार गए थे। बसपा ने 33 हजार वोट पाकर सपा का खेल बिगाड़ दिया था। कुर्मी बहुल इस सीट पर भाजपा ने फिर से इसी समाज के दीपक पटेल को टिकट दिया है।
सपा ने भी पिछले विधानसभा चुनाव लड़ने वाले अपने प्रत्याशी मो. मुज्तबा सिद्दीकी को फिर मैदान में उतारा है। मीरजापुर की मझवां सीट पर पिछले चुनाव में एनडीए में शामिल निषाद पार्टी के डॉ. विनोद कुमार बिंद को 1,03,235 वोट मिले थे, वहीं, सपा को 69,648 मत प्राप्त हुए थे। इस बार सपा ने बिंद समाज से ही पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद पर दांव लगाया है।पिछले चुनाव में भाजपा से 33587 वोटों से पिछड़ने वाली सपा के लिए यह सीट किसी चुनौती से कम नहीं है। इसी तरह सपा के लिए गाजियाबाद और खैर सीट पर अपना प्रदर्शन बेहतर करने की चिंता सबसे अधिक है। सपा 2004 के बाद गाजियाबाद सीट पर कभी जीत दर्ज नहीं करा सकी है। 2007 से यह सीट भाजपा का मजबूत किला है। 2022 के चुनाव में भाजपा को इस सीट पर कुल 61.37 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं, सपा को केवल 18.25 और कांग्रेस को 4.81 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे।
करहल विधानसभा सीट से 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जीत मिली थी। तब उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल को हराया था। एसपी सिंह बघेल इस बार आगरा संसदीय सीट से चुनाव जीते हैं। करहल समाजवादी पार्टी का गढ़ है और सपा यहां कई बार चुनाव जीत चुकी है।2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को 1,47,237 वोट मिले थे जबकि एसपी सिंह बघेल को 80,455 और बसपा उम्मीदवार कुलदीप नारायण को 15,643 वोट मिले थे। सपा को पूरी उम्मीद है कि वह इस सीट पर फिर से जीत हासिल करेगी। इस बार सपा ने तेज प्रताप यादव, बीजेपी ने अनुजेश यादव और बसपा ने अविनाश कुमार शाक्य को टिकट दिया है।
खैर विधानसभा सीट अलीगढ़ जिले में है और यह अनूप प्रधान वाल्मीकि के हाथरस सीट से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। अनूप प्रधान वाल्मीकि यहां से दो बार विधायक रहे और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। भाजपा के अलावा आरएलडी और बसपा की भी इस सीट पर अच्छी मौजूदगी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में अनूप प्रधान वाल्मीकि को 1,38,517, बसपा उम्मीदवार डॉ. चारू कैन को 64,996 और आरएलडी के उम्मीदवार भगवती प्रसाद को 41,154 वोट मिले थे।खैर में बीजेपी मजबूत है लेकिन बसपा उम्मीदवार के इस बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की वजह से पार्टी के सामने चुनौती खड़ी हुई है। हालांकि भाजपा को भी यहां आरएलडी के कार्यकर्ताओं का समर्थन मिलेगा। खैर में इस बार सपा ने डॉ. चारू कैन, भाजपा ने सुरेंद्र दिलेर और बसपा ने डॉ. पहल सिंह को टिकट दिया है।
मीरापुर विधानसभा सीट मुजफ्फरनगर जिले में है। 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से आरएलडी के टिकट पर लड़े चंदन चौहान चुनाव जीते थे। तब आरएलडी का सपा के साथ गठबंधन था। 2022 के चुनाव में चंदन चौहान को 1,07,124, बीजेपी के उम्मीदवार प्रशांत चौधरी को 79,693 और बसपा के उम्मीदवार मोहम्मद सालिम को 23,733 वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव से पहले आरएलडी ने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था। इस सीट पर निश्चित रूप से कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।मीरापुर सीट पर आरएलडी की ओर से मिथलेश पाल, सपा ने सुम्बुल राणा और बसपा ने शाह नजर को उम्मीदवार बनाया है। सीसामऊ सीट पर सपा की ओर से नसीम सोलंकी, भाजपा ने सुरेश अवस्थी और बसपा ने वीरेंद्र शुक्ला को टिकट दिया है।
कुंदरकी विधानसभा सीट मुरादाबाद जिले में है। यह सीट जिया उर रहमान के लोकसभा चुनाव में संभल सीट से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। इस सीट पर 62% मुस्लिम मतदाता हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर सपा उम्मीदवार जिया उर रहमान को 1,25,465, बीजेपी उम्मीदवार कमल कुमार को 82,467 और बसपा प्रत्याशी मोहम्मद रिजवान को 42,645 वोट मिले थे। कुंदरकी में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए भाजपा की कोशिश हिंदू वोटों को एकजुट करने की है। कुंदरकी में भाजपा की ओर से रामवीर सिंह ठाकुर, सपा की ओर से हाजी रिजवान और बसपा के टिकट पर रफतउल्ला चुनाव लड़ रहे हैं।
गाजियाबाद विधानसभा सीट यहां से बीजेपी के स्थानीय विधायक अतुल गर्ग के गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। अतुल गर्ग ने 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सपा के उम्मीदवार विशाल वर्मा को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। अतुल गर्ग को 1,49,841, विशाल वर्मा को 44,452 और बसपा प्रत्याशी कृष्ण कुमार को 32,554 वोट मिले थे। माना जा रहा है कि बीजेपी को इस सीट पर सपा की ओर से बड़ी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा। गाजियाबाद में बीजेपी की ओर से संजीव शर्मा, सपा की ओर से सिंह राज जाटव और बसपा के टिकट पर पीएन गर्ग चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रयागराज जिले में आने वाली फूलपुर विधानसभा सीट भाजपा के विधायक रहे प्रवीण पटेल के फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार प्रवीण पटेल को 1,03,014, सपा प्रत्याशी मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को 99,920 और बसपा प्रत्याशी राम तौलन यादव को 32,869 वोट मिले थे। इस सीट पर 2022 की ही तरह बीजेपी और सपा के बीच बेहद नजदीकी मुकाबला रहने की उम्मीद है। फूलपुर में भाजपा ने दीपक पटेल, सपा ने मुस्तफा सिद्दीकी और बसपा ने जितेंद्र ठाकुर को टिकट दिया है।
मझवां विधानसभा सीट मिर्जापुर जिले में है और 2022 में यहां से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद चुनाव जीते थे। बिंद इस बार भदोही लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए हैं। इस विधानसभा सीट पर अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। 2022 में मंझवा से बीजेपी उम्मीदवार रहे डॉ. विनोद कुमार बिंद को 1,03,064, सपा उम्मीदवार रोहित शुक्ला को 69,091, बसपा प्रत्याशी पुष्पलता बिंद को 52,825 वोट मिले थे। इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत दर्ज करना बहुत मुश्किल नहीं माना जा रहा है। मझवां में बीजेपी ने सुचिस्मिता मौर्या, सपा ने ज्योति बिंद और बसपा ने दीपू तिवारी को टिकट दिया है।
सीसामऊ विधानसभा सीट कानपुर जिले में है। 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर जीते इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में 7 साल कैद की सजा सुनाने के बाद उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इरफान सोलंकी तीन बार सपा के टिकट पर विधायक रहे हैं। सपा ने इस बार इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में इरफान सोलंकी को 78,851, बीजेपी उम्मीदवार सलिल बिश्नोई को 66,530 और बसपा उम्मीदवार रजनीश तिवारी को 2891 वोट मिले थे। भाजपा को इरफान सोलंकी के इस किले में छेद करने के लिए पूरी ताकत के साथ उतरना होगा।सीसामऊ सीट पर सपा की ओर से नसीम सोलंकी, भाजपा ने सुरेश अवस्थी और बसपा ने वीरेंद्र शुक्ला को टिकट दिया है।
अशोक भाटिया