10 नवंबर को होगा ताना-रीरी महोत्सव का आगाज : दो दिवसीय समारोह में संगीत क्षेत्र के प्रसिद्ध कलाकार गायन-वादन की देंगे प्रस्तुति

-पंडित नीरज एंड अमी परीख ग्रुप और कु. मैथिली ठाकुर शास्त्रीय गायन से, लोकगायक उस्मान मीर और पार्थिव गोहिल गायन और शशांक सुब्रमण्यम बांसुरी वादन से श्रोताओं को करेंगे मंत्रमुग्ध

मेहसाणा। गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित ऐतिहासिक वडनगर की पहचान उसकी प्राचीन इतिहास और समृद्ध कला-विरासत है। यह नगरी संगीत, कला, गायन, वादन और नृत्य के प्रचार-प्रसार के लिए सुविख्यात है। वडनगर में 550 वर्ष पूर्व नागर ब्राह्मणों द्वारा शुरू की गई संगीत की परंपरा आज भी जीवंत है। संगीत की यह परंपरा और विरासत ताना-रीरी महोत्सव इस वर्ष 10 और 11 नवंबर को ताना-रीरी समाधि स्थल पर आयोजित होगा, जहां श्रोतागण पंडित नीरज एंड अमी परीख ग्रुप, कुमारी मैथिली ठाकुर, ओसमाण मीर, पार्थिव गोहिल और शशांक सुब्रमण्यम आदि कलाकारों के गायन और वादन का लुत्फ उठा सकेंगे।

वर्ष 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने अपने पैतृक गांव वडनगर में ताना-रीरी महोत्सव की शुरुआत की थी। गुजरात राज्य संगीत नाटक अकादमी, गांधीनगर और मेहसाणा जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में संगीत सम्राज्ञी ताना-रीरी की याद में प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल नवमी और दशमी के दिन संगीत का यह अनोखा उत्सव आयोजित किया जाता है। गुजरात के संगीत इतिहास में गायिका बहनों ताना और रीरी का नाम बहुत ही आदरपूर्वक लिया जाता है। शास्त्रीय संगीत जगत में आज भी राग का आलाप करने से पहले ‘नोम तोम ताना-रीरी’ गाया जाता है। भक्त कवि नरसिंह मेहता की दोहित्री शर्मिष्ठा की सुपुत्रियां ताना और रीरी मल्हार राग के गायन में पारंगत थीं। संगीत सम्राट तानसेन ने जब दीपक राग गाया तो उनके शरीर में जलन पैदा हुई, जिसे इन दोनों नागर बहनों ने राग मल्हार का गायन कर शांत किया था। जब बादशाह अकबर को इस बात का पता चला, तो अकबर ने ताना और रीरी को दरबार में पेश करने का आदेश दिया। परन्तु इन दोनों बहनों ने इस मांग को स्वीकार करने के बजाय आत्मबलिदान देना पसंद किया। ऐसी वीरांगना कलाधारिणी बहनों को सुरांजलि देने के लिए वडनगर के ताना-रीरी समाधि स्थल, घासकोर दरवाजा में वर्ष 2003 से प्रतिवर्ष ताना-रीरी शास्त्रीय संगीत महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव में सुप्रसिद्ध गायक और कलाकार अपने सुमधुर गीत-संगीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस महोत्सव को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार अंतरराष्ट्रीय फलक पर ले जाने का प्रयास कर रही है।

2.50 लाख रुपये का नकद पुरस्कार-

कला और कलाकारों की सराहना के लिए सदैव तत्पर रहने वाले राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2010 में ‘ताना-रीरी संगीत सम्मान अवॉर्ड’ की शुरुआत की थी। 2010 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर का यह अवॉर्ड विख्यात गायिका बहनों लता और उषा मंगेशकर को दिया गया था। इस वर्ष तानारीरी अवॉर्ड समारोह में विख्यात शास्त्रीय गायिका सुश्री पद्मा सुरेश तलवलकर और डॉ. प्रदीप्ता गांगुली को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के करकमलों द्वारा ताना-रीरी संगीत सम्मान अवॉर्ड से नवाजा जाएगा।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के अलावा पर्यटन, सांस्कृतिक गतिविधि, वन एवं पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मुळुभाई बेरा एवं गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ताना-रीरी महोत्सव में उपस्थित रहेंगे। ताना-रीरी अवॉर्ड से सम्मानित शास्त्रीय संगीत जगत की दोनों महिला प्रतिभाओं को 2.50 लाख रुपए का नकद पुरस्कार, ताम्र पत्र और शॉल प्रदान की जाएगी।

ये कलाकार बांधेंगे समां-

ताना-रीरी महोत्सव में लोकप्रिय कलाकार अपनी कला का जादू पेश करेंगे। रविवार, 10 नवंबर को नीरज एंड अमी परीख ग्रुप और कु. मैथिली ठाकुर शास्त्रीय गायन प्रस्तुत करेंगे। उधर, गुजरात के जाने-माने लोकगायक उस्मान मीर अपने गायन से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर करेंगे। सोमवार, 11 नवंबर को श्री शशांक सुब्रमण्यम के बांसुरी वादन और पार्थिव गोहिल एंड ग्रुप के गीत-संगीत की मधुर रसधारा समारोह को यादगार बनाएगी।

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