करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। कई स्थानों पर यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा भी किया जाता है। इस साल यह व्रत 01 नवंबर, बुधवार के दिन किया जाएगा। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखा जाता जरूरी है ताकि व्रत में किसी प्रकार की बाधा न आए।
करवाचौथ पूजा विधि
करवाचौथ व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद नए वस्त्र धारण करें। इसके बाद ईश्वर का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर करवा का चित्र बनाएं। शाम के समय फलक वाले स्थान पर चौकी रखकर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें।
पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और मिठाई रखें और साथ में करवे में जल भरकर रखें। पूजा के दौरान माता पार्वती को 16 श्रृंगार सामग्री जरूर अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद शिव-शक्ति और चंद्रदेव की पूजा करें। अंत में करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। रात में चांद के निकलने के बाद छलनी के अंदर चंद्रमा को देखने के बाद चंद्रदेव की पूजा करें और अर्घ्य दें। इसके बाद पानी पीकर अपना व्रत खोलें
इन नियमों का रखें ध्यान
करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाओं को उनकी सांस द्वारा सरगी दी जाती है, उसे सूर्योदय से पहले ही खा लेना चाहिए
करवा चौथ के दिन 16 श्रृंगार जरूर करने चाहिए। क्योंकि इन्हें सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ के दिन काले या सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
करवा चौथ के पूजन के दौरान महिलाओं को अपना मुख ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की तरफ रखना चाहिए।
करवाचौथ के दिन अपने बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।