सुप्रीम कोर्ट ने आज भारत सरकार और मणिपुर राज्य सरकार को मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों को भोजन, दवाएँ और अन्य आवश्यक वस्तुओं जैसी बुनियादी आपूर्ति का वितरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने लोगों तक राशन पहुंचने से रोकने वाली नाकाबंदी से निपटने का भी निर्देश दिया और सरकार से ऐसा करने के लिए सभी विकल्प तलाशने का आग्रह किया, जिसमें लोगों के लिए हवा से राशन पहुंचाना भी शामिल है। मामले के मानवीय पहलुओं से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित न्यायाधीशों की समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ को दो मुद्दों की जानकारी दी, पहला, मणिपुर के मोरेह क्षेत्र में नाकाबंद की वज से बुनियादी राशन प्राप्त करने में परेशानी और दूसरा , कुछ राहत शिविरों में खसरा और चिकनपॉक्स का प्रकोप फैलना। जिसके बाद ये निर्देश पारित किए गए।
शुरुआत में सीजेआई ने अरोड़ा से पूछा कि समिति सीधे सरकार तक पहुंचने के बजाय अदालत के सामने क्यों पेश हो रही है। इसके बाद सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता को समिति में नियुक्त नोडल अधिकारियों का औपचारिक नोटिस भेजने का निर्देश दिया ताकि समिति सीधे सरकार तक पहुंच सके। इस समय, प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने हस्तक्षेप किया और कहा कि जब नाकेबंदी की बात आई तो समिति कुछ नहीं कर सकी। एसजी ने इसमें यह भी कहा कि यह समिति के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि मोरेह क्षेत्र में भोजन नहीं है। समस्या नाकाबंदी है। समिति सशस्त्र बलों को नाकाबंदी हटाने का निर्देश नहीं दे सकती…अन्यथा हम खाद्य आपूर्ति प्रदान कर सकते हैं।