सुप्रीम कोर्ट यूपी में बुलडोजर जस्टिस के बाद अब उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एक्ट की जांच करेगा. अदालत ने शुक्रवार को यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1986 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देन वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में चार सप्ताह में जवाब तलब किया है याचिकाकर्ता के वकील आर बसंत ने अधिनियम के कई प्रावधानों के बार में गंभीर चिंताएं व्यक्त कीं
बसंत ने कहा कि क्या पुलिस केवल एक मामले के आधार पर इस अधिनियम के तहत कदम उठा सकती है. उन्होंने एक्ट के प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूदा ढांचा पुलिस के हाथों में अत्यधिक शक्ति देता है इन प्रावधानों के तहत पुलिस शिकायतकर्ता, अभियोजक और निर्णायक के रूप में कार्य करती है, जो न्याय की निष्पक्षता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करता है
जस्टिस गवई बोले- हम इस मामले में नोटिस जारी कर रहे
बसंत एक और पहलू पर कहा कि बिना एफआईआर दर्ज किए संपत्ति कुर्क करने की मंजूरी देने वाला प्रावधान भी इसमें है धर्मेंद्र किरठल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2013) मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर गौर किया गया था जहां अदालत ने नोटिस जारी किया था, लेकिन अंततः मामलों को आगे नहीं ले जाया गया इन दलीलों पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम इस मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं
1986 में अधिनियमित किया गया था
अदालत ने अधिनियम के खिलाफ उठाई गई चुनौतियों के समाधान के मद्देनजर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है याद रहे कि यूपी गैंगस्टर्स एक्ट-1986 में अधिनियमित किया गया था, जो संगठित अपराध और असामाजिक आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े उपाय प्रदान करता है. हालांकि इसके कथित दुरुपयोग और अतिक्रमण को लेकर इसकी आलोचना की गई है, जिसके चलते मौजूदा कानूनी चुनौतियां सामने आई हैं
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यूपी में बुलडोजर एक्शन को लेकर अपना फैसला सुनाया था अब उस फैसले के मुश्किल से दो हफ्ते बाद इसी पीठ ने गैंगस्टर एक्ट वैधता की जांच को लेकर यूपी की सरकार को नोटिस जारी किया है