श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है, श्रीकृष्ण की पूजा करने से के व्यक्ति ऊर्जा, बुद्धि, शक्ति और आत्म विश्वास प्राप्त कर सकता है। इस तरह श्री कृष्ण की पूजा से सुख, शांति, आरोग्य एवं लाभ की प्राप्ति होती है तो आइए हम आपको कृष्णा जन्माष्टमी की पूजा विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जन्माष्टमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में साल में एक बार होती है मंगला आरती
बांके बिहारी मंदिर में भक्तों की भीड़ हमेशा देखी जाती है लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां श्रद्धालुओं का भीड़ के चलते पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती है। इस दौरान भक्त यहां साल में एक बार होने वाली मंगला आरती में हिस्सा लेने को उत्सुक रहते हैं। श्री बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल एक बार ही मंगला आरती होती है और देश-विदेश के भक्त इसमें शामिल होते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार करके व्रत का संकल्प लें। फिर मध्यान्ह के समय काले तिलों को जल में छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं। अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ माता देवकी जी की मूर्ति भी स्थापित करें। देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम लेते हुए विधिवत पूजन करें। यह व्रत रात में बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवे का सेवन कर सकते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर करें श्रीकृष्ण के इन मंत्रों का जाप
शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी के दिन जाप करना फलदायी होता है। इस दिन हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे का जाप करें। श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा, ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि और ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय के जाप करें।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इन पूजन सामग्रियों को शामिल करें
पंडितों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर धूप बत्ती, अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत 5, कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, तुलसीमाला, खड़ा धनिया, सप्तमृत्तिका, सप्तधान, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, छोटी इलायची, लौंग मौली, इत्र की शीशी, सिंहासन, बाजोट या झूला (चौकी, आसन), पंच पल्लव, पंचामृत, केले के पत्ते, औषधि, श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर, गणेशजी की तस्वीर, अम्बिका जी की तस्वीर, भगवान के वस्त्र, गणेशजी को अर्पित करने के लिए वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने के लिए वस्त्र, जल कलश, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा, पंच रत्न, दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, बन्दनवार, ताम्बूल, नारियल, चावल, गेहूं, गुलाब और लाल कमल के फूल, दूर्वा, अर्घ्य पात्र आदि।
कृष्ण जन्माष्टमी पर शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर 2023 शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि की जाती है, इसलिए इस साल भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 सितंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत से होते हैं ये फायदे
जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से न केवल घर में प्रेम और सौहार्द बना रहा रहता है बल्कि दाम्पत्य जीवन भी मधुर होता है। साथ ही वैवाहिक सम्बन्धों में मधुरता लाने के लिए उत्तर दिशा में नाचते हुए मयूर या राधा-कृष्ण की आलिंगनवद्ध पेंटिंग लगाना वास्तु की दृष्टि से अच्छा होता है। अगर आप संतान की इच्छा रखते हैं तो श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा जरूर करें। संतान प्राप्ति हेतु इच्छुक दम्पत्ति अपने कमरे में श्री कृष्ण के बालरूप या गाय-बछड़े की फोटो लगाएं। अगर परिवार के सदस्यों में आपसी तालमेल और आत्मविश्वास की कमी है तो आप श्रीकृष्ण जी की अर्चना करें। इसके लिए आप अंगुली पर गोबर्धन पर्वत उठाए हुए भगवान श्री कृष्ण की तस्वीर घर में ऐसी जगह लगाएं ताकि आपकी नज़र अक्सर उस पर पढ़े। फोटो में बाल-गोपाल को जरूर शामिल करें।
जन्माष्टमी व्रत से घर में कभी नहीं होगा अभाव
घर में पूरब दिशा की ओर लड्डू गोपालजी की माखन खाते हुए की तस्वीर लगाना बहुत शुभ होगा। इससे आपके घर में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि खाना बनाते समय भोजन को झूठा न करें। भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी विशेष रूप से प्रिय होती है। इसलिए इस दिन तुलसी पूजन शुभ मानी जाती है। इसलिए शाम को तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं और 11 बार परिक्रमा करें। अगर आपके घर में तुलसी जी नहीं हैं तो किसी मंदिर में जाकर पूजा करें लेकिन कभी भी किसी और घर की तुलसी की पूजा न करें, ऐसा करने से पूजा का फल आपको नहीं मिलेगा।
परिजात के फूलों से कृष्ण भगवान होते हैं प्रसन्न
भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को परिजात के फूल बहुत पसंद हैं। कृष्ण भगवान विष्णु जी के अवतार हैं इसलिए उन्हें भी पूजा में परिजात के फूल अर्पित करें। कृष्ण जी को बांसुरी बहुत प्यारी है।