श्रीकृष्ण ने मांगे थे 5 गांव, हम मांग रहे सिर्फ तीन: सीएम योगी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा को अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय क्षण बताया तो राम मंदिर के विरोध के लिए विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को पूरी दुनिया के लिए अद्भुत क्षण था। भारत के गौरव की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य संपन्न हुआ।

 प्रसन्नता है कि हमने वचन निभाया और मंदिर वहीं बनाया। जो कहा सो किया, जो संकल्प लिया उसकी सिद्धि भी हुई। यही नहीं, सीएम योगी ने अयोध्या के साथ-साथ काशी और मथुरा विवाद को लेकर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन से पांच गांव मांगे थे, उसी तरह यहां सिर्फ तीन स्थलों की बात की गई थी। ये तीनों ईश्वर के अवतरण की धरती हैं।

एक जिद और वोट बैंक की प्रवृत्ति ने खड़ा किया विवाद
लेकिन एक जिद थी और उसमें राजनीतिक तड़के और वोट बैंक की प्रवृत्ति ने विवाद खड़ा कर दिया। सीएम योगी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि तब भी दुर्योधन ने कहा था कि सुई की नोक के बराबर जगह नहीं दूंगा तो महाभारत युद्ध तो होना ही होना था। यहां भी वोट बैंक के लिए हमारी संस्कृति और आस्था को रौंदने वाले आक्रांताओं का महिमामंडन किया गया, जिसे अब देश स्वीकार नहीं करेगा। 

पिछली सरकारों में हुआ अयोध्या के साथ अन्याय 
सीएम योगी ने अयोध्या और महाभारत के बीच समानता का जिक्र करते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने अयोध्या नगरी को प्रतिबंधों और कर्फ्यू के दायरे में रखा। अयोध्या सुनियोंजित तिरस्कार भी झेलती रही। लोकआस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ कभी देखने को नहीं मिला। अयोध्या के साथ अन्याय हुआ। 5000 साल पुरानी बात को याद करें तो कृष्ण ने केवल पांच ग्राम मांगे थे। उन्होंने कहा था कि दे दो केवल पांच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम। दुर्योधन ने श्रीकृष्ण को बंधक बनाने की कोशिश, उलटे हरि को बांधने चला जो था असाध्य उसे साधने चला… यही तो हुआ था अयोध्या, मथुरा और काशी के साथ।

यह पहली बार है कि लोक आस्था के लिए गिडड़गिड़ाना पड़ा…
ये तीनों विशिष्ट स्थल हैं। पहली बार देखने को मिला कि लोक आस्था के लिए भी गिड़गिड़ाना पड़ा। लेकिन अब जब लोगों ने अयोध्या का उत्सव देखा तो नंदी बाबा ने कहा कि हम क्यों इंतजार करें। उन्होंने रात्रि में बैरिकेड तुड़वा डाले। हमारे कृष्ण कन्हैया कहां मानने वाले हैं। विदेशी आक्रांताओं ने केवल धन दौलत ही नहीं लूटा, इस देश की आस्था को रोंदने का काम किया। आजादी के बाद विपक्षी दलों ने उन्हें केवल वोट बैंक के लिए महिमामंडित करने का कुत्सित प्रयास किया। अब ये देश इसे स्वीकार नहीं करेगा। 

राम की मर्यादा हमें धैर्य की प्रेरणा देती है
सीएम योगी ने कहा कि यूपी ने 22 जनवरी 2024 की घटना को देखा है। पूरा देश अभिभूत था। पूरी दुनिया में हर वह व्यक्ति जो सत्य और न्याय का पक्षधर है वह गौरवान्वित था। हर सनातनी की आंख में आंसू थे। वह अपनी कई पीढ़ियों को कृतज्ञता ज्ञापित कर रहा था। सौभाग्य है कि वहां प्रत्यक्ष रूप से मौजूद था, वहां अद्भुत और ऊर्जा से भरा हुआ वातावरण था। हर सदस्य के चेहरे पर संतोष था कि अयोध्या में जो हुआ है वो अच्छा हुआ है।

प्रभु को अस्तित्व के लिए स्वयं प्रमाण देना पड़ा…
हर व्यक्ति के मन में ये भाव है कि हम सबको अयोध्या चलना चाहिए। 500 साल के लंबे संघर्ष को सर्वानुमति के साथ उसके समाधान का रास्ता निकला। पूरे देश की जनभावना के अनुरूप रामलला वहां प्रत्यक्ष रूप से विराजमान हो चुके हैं। सीएम योगी ने कहा कि यह दुनिया में पहली घटना थी जहां प्रभु को स्वयं के अस्तित्व के लिए स्वयं प्रमाण जुटाने पड़े थे। राम की मर्यादा हमें धैर्य की प्रेरणा देती है। आज नव्य, भव्य और दिव्य अयोध्या को देख हर कोई अभिभूत है। 

हमारी नीति और नीयत स्पष्ट 
सीएम योगी ने पूर्व की सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ये काम पहले ही हो जाना चाहिए था। हम मानते हैं कि मंदिर का विवाद न्यायालय में था, लेकिन वहां की सड़कों को चौड़ा किया जा सकता था। घाटों का पुनरोद्धार हो सकता था। बिजली की व्यवस्था, स्वच्छता और स्वास्थ्य की व्यवस्था की जा सकती थी। एयरपोर्ट का कार्य किया जा सकता था। विकास के इन कार्यों को किस मंशा के साथ रोका गया था। काशी, मथुरा का विकास अवरुद्ध करने के पीछे कौन सी मंशा थी। विवाद एक स्थल विशेष का था, मगर वहां के लोगों को वहां आने वालों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित क्यों किया गया।

जब व्यक्ति शास्वत नहीं तो कुर्सी कैसे रहेगी
ये मुद्दा नीयत का है। हमारी आस्था थी और नीति भी साफ थी, नीयत भी स्पष्ट थी। हम बिना रुके, बिना डिगे, बिना झुके अयोध्या भी गए, काशी गए तो नोएडा और बिजनौर भी गए। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति स्वयं शास्वत नहीं है तो कुर्सी कैसे शास्वत रहेगी। सीएम योगी ने कहा कि हम अयोध्या इसलिए जाएंगे कि हमारी आस्था का प्रश्न है। अयोध्या का भव्य दीपोत्सव हमारी सरकार का सौभाग्य है। आज वह नित नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। अयोध्या में सदियों की प्रतीक्षा खत्म हुई। वहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। 14-15 फ्लाइट देशभर से संचालित है। 

पौराणिक ग्रंथों से सीखते तो चच्चू का अपमान नहीं करते
सीएम योगी ने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष के पूरे भाषण के दौरान सदन में मौजूद था। मुझे आश्चर्य हुआ कि अब बोलेंगे तब बोलेंगे और इस सदी की सबसे बड़ी घटना की ओर भी आकर्षित करेंगे, लेकिन वो ध्यान भटकाते रहे। अब तक की उनकी परिपाटी रही है कि तथ्यों और तर्कों से नहीं अपनी जबरन बातों को थोपने का प्रयास करते हैं। 2017 से पहले जिन लोग चार-चार बार सत्ता के सिंहासन पर विराजमान थे उन्होंने यूपी के सामने पहचान का संकट खड़ा कर दिया था।

एक समय यूपी था बहुत बदनाम, युवा थे प्रताड़ित
यहां का नौजवान बाहर नहीं जा सकता था। यूपी से बाहर निकलता था तो हेय दृष्टि से देखा जाता था। यहां तो अवसर थे नहीं, बाहर भी नौकरी नहीं मिलती थी। किराए पर कमरे की बात तो दूर होटल और धर्मशालाओं में कमरे भी नहीं मिलते थे। कौन जिम्मेदार है इस स्थिति के लिए? उन्होंने करारा तंज कसते हुए कहा कि अयोध्या में माता शबरी के नाम पर रसोईघर शुरू हो चुका है। माता शबरी के अनुयायी पीडीए के पार्ट हैं या नहीं।

निषाद राज के नाम पर रैनबसेरे शुरू हुए हैं, निषादराज के अनुयायी पीडीए का हिस्सा हैं या नहीं। इनका पीडीए यानी परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी है। इसमें और कोई है या नहीं, मगर चच्चू नहीं है। एक बार पढ़िए महाभारत। परिवार के तीन सदस्यों के नाम थे, चच्चू का नाम क्यों नहीं था। अगर प्रभु राम को मानते, रामायण से सीखते या महाभारत से ही सीखते तो चच्चू का अपमान नहीं करते। 

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