बिहार में फिर उठने लगी स्पेशल स्टेटस की मांग

पटना। केंद्रीय बजट से पहले नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने नई चाल चल दी है। जदयू की डिमांड से मोदी सरकार टेंशन में आ सकती है। नीतीश कुमार की पार्टी ने एक बार फिर विशेष राज्य की डिमांड तेज कर दी है। जदयू के दिग्गज नेता और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने इशारों ही इशारों में दिल्ली तक मैसेज पहुंचा दिया है।

कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी ने गुरुवार को पटना में पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने जदयू की पुरानी मांग को दोहराया।

‘बिहार के पास प्राकृतिक संशाधनों की कमी’
अशोक चौधरी ने कहा, हम लोग विशेष राज्य के दर्जे की मांग शुरू से करते आ रहे हैं। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। सभी लोग जानते हैं कि बिहार के पास प्राकृतिक संसाधनों की कमी है। उसके भौगोलिक और ऐतिहासिक कारण हैं, इसमें बिहारवासियों का कोई रोल नहीं है।

‘…तो ये बिहार का दोष नहीं है’
उन्होंने आगे कहा कि हमारे यहां खान-खदान नहीं है, समुद्री किनारा नहीं है, तो ये बिहार का दोष नहीं है। अगर किसी प्रदेश में सोने की खदान है तो यह ना तो वहां की सरकार की उपलब्धि है और ना ही पब्लिक की। हम लोग भाग्यशाली प्रदेश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बिहार को स्पेशल स्टेटस मिलना चाहिए।

मांझी की पार्टी का भी स्टैंड क्लियर!
जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने भी स्पेशल स्टेटस की मांग को दोहराया है। साफ है कि एनडीए के घटक तक दिल्ली तक अपनी बात पहुचाने में जुट गए हैं।

बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत है। केंद्रीय सहायता भी मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा, एक बिहारी होने के नाते मैं भी यही चाहता हूं कि बिहार को विशेष सहायता या विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। बिहार के विकास के लिए यह बहुत जरूरी है। अगर केंद्र से इस तरह की सहायता मिलती है तो बिहार भी अग्रणी राज्यों में आ पाएगा।

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