दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने की श्रीकांत फ़िल्म की भारतीय सांकेतिक भाषा में विशेष स्क्रीनिंग

नई दिल्ली। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने गुरुवार को पीवीआर चाणक्यपुरी में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए श्रीकांत फ़िल्म की भारतीय सांकेतिक भाषा में विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया। इस अवसर पर दिल्ली-एनसीआर के बधिर समुदाय के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों के बधिर बच्चे भी उपस्थित रहे। इस मौके पर बधिर बच्चों ने फिल्म हॉल में श्रीकांत फिल्म देखी। यह प्रयास मनोरंजन के क्षेत्र में सुलभता और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा भारतीय सांकेतिक भाषा पर ज़ोर दिया है और इस दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इस साल मार्च में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा यह दिशा-निर्देश जारी किए गए कि भविष्य में बनने वाली फिल्मों में समावेशिता को प्राथमिकता दी जाए। मनोरंजन की सुलभता सभी के लिए होनी चाहिए, चाहे वह श्रवण बाधित समुदाय हो या अन्य दिव्यांगजन। श्रीकांत फ़िल्म एक प्रेरणादायक कहानी है, और इस प्रकार की फ़िल्में समाज में एक सशक्त संदेश देती हैं। इसलिए इस फिल्म में सांकेतिक भाषा का प्रयोग कर इसे बधिर लोगों के लिए तैयार किया है। यह फिल्म देश के पांच शहरों, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद औऱ बेंगलुरु के पीवीआर में दिखाई जा रही है। इस प्रयास को सभी शहरों में प्रसारित किया जाएगा ताकि समाज के बधिर लोगों के लिए भी मनोरंजन सुलभ हो सकें।

राजेश अग्रवाल ने कहा कि हम भारतीय फिल्म उद्योग के निर्माता-निर्देशकों को आमंत्रित करते हैं कि वे हमारे इस प्रयास में शामिल हों और एक समावेशी समाज के निर्माण में सहयोग करें। फ़िल्म के निर्देशक तुषार हीरानंदानी ने इस विशेष स्क्रीनिंग पर कहा कि आज का दिन उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। श्रीकांत फ़िल्म को सांकेतिक भाषा में प्रदर्शित करने का पूरा श्रेय भारत सरकार और विभाग का है।

बच्चों के लिए रहा खास अनुभव-

पहली बार सांकेतिक भाषा में फिल्म देखते हुए, बच्चों और दिव्यांगजनों के चेहरे पर खुशी की झलक साफ़ दिखाई दी। यह अनुभव उनके लिए न सिर्फ एक मनोरंजन का स्रोत था, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी था कि वे समाज के मुख्यधारा से जुड़े हैं। बच्चों ने इस अद्भुत पहल की सराहना करते हुए कहा कि सबटाइटल के साथ अब सांकेतिक यानि उनकी अपनी भाषा में भी फिल्म प्रदर्शित हो रही है यह सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। भारत सरकार भविष्य में भी ऐसे दिव्यांग-फ्रेंडली वातावरण का निर्माण करती रहे, ताकि हम भी जीवन के हर रंग और आनंद का हिस्सा बन सकें।

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