हमीरपुर। नौकरियों के लिए घर से दूर भटकने के बजाय अपनी पुश्तैनी जमीन पर ही नकदी फसलों की खेती करके भी अच्छी खासी आय प्राप्त की जा सकती है। इस बात को भोरंज उपमंडल की ग्राम पंचायत मुंडखर के गांव जमली के प्रगतिशील किसान तरसेम चंद ने साबित करके दिखाया है। तरसेम लगभग 25 वर्ष तक शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षक के रूप में सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त होने पर लगभग 12 कनाल जमीन पर गेहूं, मक्की और धान जैसी परंपरागत फसलों की खेती के बजाय नकदी फसलें उगा रहे हैं।
प्रगतिशील किसान तरसेम चंद ने सबसे पहले पारंपरिक कुएं की मरम्मत करवाकर उसमें मोटर फिट करवा कर सिंचाई का प्रबंध किया।
इसके बाद उन्होंने भिंडी, करेला, खीरा, शिमला मिर्च, घीया, लौकी और कद्दू इत्यादि की फसलें उगाने के लिए आधुनिक तकनीक अपनाते हुए खेतों में मल्चिंग शीट बिछाई। इस तकनीक को अपनाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी तरसेम चंद का मार्गदर्शन किया। देखते ही देखते तरसेम चंद की जमीन सोना उगलने लगी। अब वह रोजाना 8-9 हजार रुपये की सब्जी स्थानीय बाजारों में पहुंचा रहे हैं। उन्हें घर के पास ही अपनी उपज के अच्छे दाम मिल रहे हैं।
तरसेम चंद ने बताया कि उन्हें कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारियों की ओर से भी समय-समय मार्गदर्शन एवं सहयोग मिलता रहा है तथा वह इन विभागों की विभिन्न योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं। तरसेम चंद ने बताया कि उन्होंने हाल ही 50 प्रतिशत सब्सिडी पर पॉवर टिल्लर भी खरीदा है, जिससे उन्हें खेती करना और भी आसान हो गया है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ऐसे प्रगतिशील किसानों को हमेशा प्रोत्साहित करती है और कृषि विभाग तथा उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित करती है। प्रदेश सरकार की इन योजनाओं की मदद से जिला हमीरपुर के भी कई मेहनतकश किसान अपनी पुश्तैनी जमीन से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं तथा आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।