विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर आगामी 21 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र में विश्व ध्यान दिवस के मौके पर संबोधन देने वाले हैं. यह दिन आध्यात्मिक गुरु के नेतृत्व में दुनिया के लिए एक अविस्मरणीय क्षण लेकर आ रहा है. आंतरिक शांति और वैश्विक एकता का यह एक अद्भुत उदाहरण होने वाला है. दुनिया भर में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक के तौर पर उनकी ख्याति है.
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लेकर यूरोपीय संसद और मलेशिया के दूतावासों तक, दुनिया में तमाम देशों में सभी को इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने का खास अवसर है. आध्यात्मिक गुरु के अनुयायियों से कहा गया है कि इस आयोजन को बिल्कुल मिस ना करें. 21 दिसंबर को शाम 8:00 बजे IST पर नीचे दिए गए लिंक से जुड़ें.
180 से अधिक देशों में मानवीय पहल
अपने अद्वितीय शिक्षण, ध्यान कार्यक्रमों और 180 से अधिक देशों में मानवीय पहलों के माध्यम से श्री श्री रविशंकर ने लाखों लोगों के जीवन का उत्थान कर उन्हें सकारात्मक रूप से परिवर्तित किया है. समाज में ध्यान की भूमिका को और अधिक प्रमुखता मिली जब संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया. गुरुदेव ने कहा, “यह एक स्वागत योग्य कदम है. आखिरकार ध्यान को वह मान्यता मिली जिसका यह हकदार है.”
ध्यान: वर्तमान में जीने की कला
ध्यान केवल विश्राम करने की एक तकनीक ही नहीं; यह वर्तमान क्षण में जीने की कला है. ध्यान लोगों को शांत होकर चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है. लोगों की आंतरिक क्षमता को बढ़ाता है. ध्यान का लक्ष्य है- आंतरिक शांति और बाहरी सक्रियता.
अभिनेत्री अनुष्का सेन का कहना है जब मैंने पहली बार ध्यान किया, वह अनुभव बहुत शक्तिशाली था. मेरा दृष्टिकोण पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो गया और मैं खुद को अधिक खुश और शांत महसूस करने लगी. मुझे विश्वास है जब आप भीतर से खुश होते हैं, तो जीवन में सब कुछ अपने आप ठीक हो जाता है,”
वहीं भारतीय हॉकी टीम की उपकप्तान और अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री प्राप्तकर्ता वंदना कटारिया बताती हैं सुदर्शन क्रिया और ध्यान ने उनके जीवन और उनकी टीम की जीवन शैली को बदल दिया:
उन्होंने कहा था- “सुदर्शन क्रिया भारत के लिए हमें पदक जीतने में मदद करेगी. हमारी पूरी टीम हर सुबह सुदर्शन क्रिया करती है और हमें इससे बहुत लाभ मिला है. पहले कभी-कभी नकारात्मकता आती थी. सोते वक्त भी नकारात्मक विचार आते थे. लेकिन सुदर्शन क्रिया से मेरे अंदर सकारात्मकता बढ़ गई. अब हर दिन मैं मुस्कान के साथ उठती हूं. ध्यान का खूबसूरत उपहार देने के लिए गुरुदेव को मैं धन्यवाद देना चाहती हूं.”
आर्ट ऑफ लिविंग के कोर्स को जानें
प्रसिद्ध अभिनेत्री जैस्मीन भसीन कहती हैं, “आर्ट ऑफ लिविंग के कोर्स में वे आपको सिखाते हैं कि ध्यान कैसे करें और इसे करने के बाद, मैंने व्यक्तिगत रूप से महसूस किया कि यह कोर्स हर स्कूल में अनिवार्य होना चाहिए. ध्यान करने से हमारा मन उस स्तर पर पहुंचता है, जहां हमें हर चीज़ को बेहतर समझने की क्षमता मिलती है. हमारा मस्तिष्क अपनी पूरी क्षमता से काम करता है, जिससे हम बेहतर निर्णय ले पाते हैं जिसके परिणाम स्वरुप जीवन में निश्चित रूप से सफल पा सकते हैं और हमारे निजी संबंध भी अच्छे होंगे. हम अपनी भावनाओं पर अधिक नियंत्रण प्राप्त करे सकेंगे. मैंने इसे अब सीखा है, और मुझे यह कर के बहुत अच्छा लग रहा है और मैं इसे करती रहूंगी.”
800 मिलियन से अधिक जीवन बदले
आर्ट ऑफ लिविंग के ध्यान कार्यक्रमों ने 800 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से बदल दिया है. जब गुरुदेव संयुक्त राष्ट्र में पहले विश्व ध्यान दिवस का नेतृत्व कर रहे हैं, यह ध्यान की शक्ति को पहचानने का एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो न केवल लोगों को आनंदित करता है बल्कि समुदायों को बदलकर एक बेहतर भविष्य की नींव रखता है.