लखीमपुर खीरी जिले में बारिश और बनबसा बैराज से शुक्रवार दोपहर तीन बजे तक चार लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने से एक बार फिर पलिया क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। हालांकि गांवों में शाम तक पानी तो नहीं आया, लेकिन देर रात तक पानी आने की आशंका से ग्रामीण चिंतित हैं। प्रशासन की ओर से सूचना प्रसारित कराकर ग्रामीणों से ऊंचे स्थानों पर जाने की अपील की गई है। वहीं बाढ़ का पानी बहने से पलिया-भीरा मार्ग पर आवागमन बंद कर दिया गया है।
बनबसा बैराज से बृहस्पतिवार रात नौ बजे 90 हजार क्यूसेक पानी शारदा नदी में पास किया गया। यह आंकड़ा रात 12 बजे तक एक लाख और सुबह सात बजे डेढ़ लाख क्यूसेक हो गया। शुक्रवार दोपहर तक चार लाख 19 हजार क्यूसेक पानी पास किया जा चुका था। यह पानी देर रात तक शारदा नदी में आने की बात कही गई है।
इससे पहले शुक्रवार सुबह से ही पलिया-भीरा मार्ग पर बाढ़ का पानी सड़क पर बहने लगा। प्रशासन ने इस मार्ग पर पूरी तरह से आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके चलते शारदा पुल और अतरिया क्रॉसिंग पर वाहनों की लाइनें लगी रहीं। हालांकि अतरिया क्रॉसिंग से नाव के जरिये लोगों का आवागमन शारदा पुल तक जारी रहा।
बाढ़ग्रस्त गांवों में कराई गई मुनादी
प्रशासन ने सबसे पहले बाढ़ प्रभावित होने वाले गोविंदनगर व भानपुरी खजुरिया में डुग्गी पिटवाकर गांव को खाली करने की अपील की। लोगों से ऊंचे स्थानों पर जाने को कहा गया। देर शाम छह बजे से पहले ही पूरा गांव खाली करने की अपील की गई। जिसके बाद ग्रामीण अपना-अपना सामान लेकर ऊंचे स्थानों पर शरण लेने के लिए जाते दिखे। अतरिया गांव में भी एनाउंस कर पलिया-भीरा मार्ग से आवागमन न करने की अपील की गई।
अभी बनाया और फिर उजाड़ना पड़ा आशियाना
पलिया-भीरा मार्ग पर अतरिया गांव के ग्रामीणों को हर साल संकट झेलना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि न तो इनको सरकारी इमदाद मिलती है और न ही लंच पैकेट दिए जाते हैं। पीड़ितों ने बताया कि हर बार पानी का जलस्तर बढ़ने से उनके घरों में दो से तीन फुट पानी भर जाता है। रेलवे लाइन कटने से धार सीधी सड़क पर आती है और सड़क किनारे रहने के कारण बाढ़ का पानी हर बार उनके आशियानों को तोड़ता है। हर बार वह जी-तोड़ मेहनत कर अपना आशियाना बनाते हैं और फिर नुकसान झेलना पड़ता है।
एसडीएम पलिया कार्तिकेय सिंह ने कहा कि बनबसा बैराज से चार लाख से अधिक क्यूसेक पानी पास किए जाने के बाद गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। तहसीलदार के साथ ही लेखपालों की टीमों को लगाया गया है। प्रत्येक बाढ़ प्रभावित गांवों में नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए प्रचार किया जा रहा है, ताकि वह ऊंचे स्थानों पर पहुंचे