बरेली| बरेली में छह साल पहले कैंट के सदर बाजार में ड्यूटी से लौट रहे फौजी की गोली मारकर हत्या करने के दोषी दो भाइयों को अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने बुधवार को सजा सुना दी। गोली मारने के दोषी छोटे भाई को फांसी व साथ देने वाले बड़े भाई को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
21 मार्च 2018 को कैंट थाने में लिखाई गई रिपोर्ट में सेना के अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि लांस नायक अनिल कुमार जाट रेजिमेंट सेंटर से ड्यूटी करके दोपहर दो बजे घर लौट रहे थे। सदर बाजार में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। विवेचना में अभियुक्त ध्रुव चौधरी और उसके बड़े भाई राजेश चौधरी का नाम सामने आया।
पता लगा कि राजेश एक सैन्यकर्मी की पत्नी का पीछा करता था। इसके विरोध में अनिल ने एक बार राजेश की पिटाई कर दी थी। इस बात से नाराज होकर दोनों भाइयों ने उन्हें घेर लिया था। राजेश के कहने पर ध्रुव ने अनिल को गोली मार दी थी और दोनों फरार हो गए थे। सात जून 2023 को दोनों अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए गए। सरकारी वकील सुनील पांडेय ने 11 गवाह पेश किए।
कोर्ट ने अभियुक्त ध्रुव चौधरी व राजेश चौधरी को 22 फरवरी 2024 को दोषी करार दे दिया था। बुधवार को ध्रुव चौधरी को फांसी और राजेश को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। ध्रुव पर 13 हजार व राजेश पर 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया। इस दौरान एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान भी कोर्ट परिसर में मौजूद रहे।
अदालत की टिप्पणी
बचाव पक्ष ने अदालत से कहा कि कम सजा दी जाए और दोषियों को सुधरने का मौका दिया जाए। एडीजे ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने अपने फैसले में कहा कि अगर दोषी सुधर भी जाएं तो इससे न तो मृतक अनिल कुमार जीवित हो पाएंगे और न ही सेना का जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई संभव है। कठोर दंड से ही समाज में न्यायालय के प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यह आशंका भी निर्मूल नहीं है कि सुधार की संभावना से अगर दोषियों को लाभ दिया जाता है तो गवाहों के साथ थाना कैंट के पैरोकार व जिला शासकीय अधिवक्ता के सामने भी जीवन का संकट उत्पन्न हो जाएगा।
परिवार के सामने भरण-पोषण के संकट के प्रश्न पर अदालत ने कहा कि अभियुक्त राजेश चौधरी पूर्व में पत्रकार था लेकिन उसके पास न तो इसकी कोई डिग्री थी, न ही मान्यता। जमानत के बाद उसने जनपद न्यायालय में बतौर अधिवक्ता वकालत की, लेकिन बार काउंसिल में उसका पंजीकरण तक नहीं है।
अभियुक्त ध्रुव चौधरी की ओर से कहा गया कि वह भोपाल में नौकरी करता है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं। अभियोजन ने बताया कि वह स्थानीय बाजार में रंगदारी वसूलता था। कोर्ट ने कहा कि अगर दोनों लोग अपने परिवार के लिए कुछ खर्च करते भी थे तो फर्जी पत्रकार या फर्जी वकील बनकर की गई आमदनी या रंगदारी वसूल कर की गई आमदनी से आजीविका चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पूर्व फौजियों ने खुशी मनाई
अदालत का फैसला आने से पहले ही कई पूर्व फौजी न्यायालय परिसर के बाहर एकत्र हो गए थे। उन्होंने नारेबाजी करते हुए खुशी मनाई। ये लोग जय जवान जय किसान और जय हिंदुस्तान के नारे लगा रहे थे। कोर्ट के फैसले पर इन्होंने संतुष्टि जाहिर की। कहा कि उनके साथी की आत्मा को शांति मिली है।
एसएसपी बोले- ऑपरेशन कन्विक्शन चला रही पुलिस
जिस वक्त सजा का आदेश हो रहा था, पारिवारिक न्यायालय में एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान भी आए थे। एसएसपी बाहर निकले तो मीडिया से बातचीत में कहा कि पुलिस विभाग भी बड़े मामलों में आरोपी को अधिकतम व समयबद्ध सजा दिलाने के लिए ऑपरेशन कन्विक्शन चला रहा है।
इस केस में भी नोडल अधिकारी मुकेश प्रताप सिंह व एडीजीसी सुनील कुमार पांडेय की टीम ने प्रभावी पैरवी की थी। घटना के वक्त कैंट थाना प्रभारी विजयपाल सिंह थे। उन्होंने ही इस चर्चित हत्याकांड की विवेचना कर आरोपियों को सजा दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई थी।