सुप्रीम कोर्ट ने देश के युवाओं में बढ़ती नशे की लत को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है. अदालत ने इसे समाज और देश के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए युवाओं को वार्न किया कि ड्रग्स का सेवन ‘कूल’ नहीं बनाता है, बल्कि ये एक विनाशकारी आदत है. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मामले की सुनवाई के दौरान की, जहां नशीले पदार्थों के दुरुपयोग से जुड़े पहलुओं पर चर्चा हो रही थी.
अदालत ने कहा कि ड्रग्स का सेवन न केवल व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि समाज और देश की प्रगति पर भी गंभीर प्रभाव डालता है. कोर्ट ने कहा कि नशे की लत से युवाओं की शक्ति और प्रतिभा दोनों ही बर्बाद हो रही हैं. इससे देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है, क्योंकि युवा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने की अपील
अदालत ने यह भी कहा कि नशीले पदार्थों का इस्तेमाल व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर करता है, जिससे वह डिप्रेशन, अकेलेपन और अपराध की ओर बढ़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं से अपील की कि वे इस घातक लत से दूर रहें और अपने जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करें. अदालत ने सरकार और समाज से भी आग्रह किया कि इस समस्या को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं और सख्त कदम उठाए जाएं.
खूब फल-फूल रहा नशे का कारोबार
कई रिपोर्टों ने नशे की इस समस्या के खतरनाक स्तर को उजागर भी किया है. ड्रग वॉर डिस्टॉर्शन और वर्डोमीटर की रिपोर्ट के अनुसार, देश में अवैध नशे के कारोबार का मूल्य 30 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 75 साल की उम्र के लगभग 20 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी प्रकार के नशे के आदी हैं. चिंताजनक बात यह है कि युवाओं की संख्या भी इसमें तेजी से बढ़ रही है.
बढ़ रहा ड्रग का अवैध बाजार
भारत में ड्रग का अवैध बाजार भी विशाल है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2017 में वैश्विक गांजे की 10 प्रतिशत खपत हुई. ग्लोबल ड्रग रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत मॉर्फीन की तीसरी सबसे बड़ी खेप होने का अनुमान है और अफीम की जब्ती में चौथे स्थान पर है. इन आंकड़ों से देश में ड्रग की खपत और तस्करी का गंभीर स्तर साफ झलकता है.