पीलीभीत। प्रांतीय आवाहन पर शुक्रवार को बीआरसी मरौरी पर प्रभारी बीईओ राजेश कुमार को ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध सहित तमाम मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहां गया कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा लगातार बेसिक शिक्षा में प्रयोग के नाम पर प्रदेश के लाखों शिक्षकों को प्रताड़ित करने का कार्य कर रहे है। जबरदस्ती प्रदेश के बेसिक शिक्षकों पर कर्मचारी आचरण एवं अनुशासन नियमावली, बेसिक शिक्षा परिषद नियमावली के विरुद्ध जाकर मनमाने आदेश का भय दिखाकर थोपने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि प्रदेश का बेसिक शिक्षक प्रदेश की संवैधानिक संस्था बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की नियमावली के अंतर्गत कार्य कर रहा है। कोई भी नियम बनाने, परिवर्तन संशोधन करने, अथवा लागू करने हेतु प्रस्ताव परिषद में लाकर एवं बैठक कर पारित किया जाना चाहिए परन्तु परन्तु पिछले 05 वर्षों से बेसिक शिक्षा परिषद को अस्तित्वहीन कर दिया गया है। परिषद के सदस्यों के अधिकारों को छीन लिया गया है ।साथ ही अतिक्रमण कर लिया गया है।
बेसिक शिक्षा परिषद पिछले लगभग 05 वर्षों से अस्तित्वहीन कर दी गयी है। यह किसी संवैधानिक संस्था के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। किसी एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षा की भेंट बेसिक शिक्षा परिषद को नहीं चढ़ाया जा सकता। विभाग द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में टेबलेट दिए गए उनमें सिम और डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया परन्तु महानिदेशक जबरदस्ती प्रदेश के बेसिक शिक्षक से अपनी आईडी से निजी नाम से सिम और डेटा शिक्षक के पैसे से खरीदने का दबाव बना रहे है।प्रदेश का बेसिक शिक्षक सरकारी कार्य में अपना व्यक्तिगत विवरण देने हेतु विल्कुल ही सहमत नहीं है। 10 नवम्बर 2023 को पत्र जारी कर प्रदेश के सभी शिक्षकों को अपने निजी मोबाइल,निजी सिम,निजी नम्बर,निजी आईडी, निजी डेटा से 08:45 से 09 बजे प्रातः के मध्य आनलाइन उपस्थिति में फेस के देने के निर्देश दिए गए हैं।इस प्रकार के नियम विरुद्ध आदेशों से प्रदेश का लाखों बेसिक शिक्षक एवं उनके परिवार आक्रोशित एवं आंदोलित हैं। ऐसे आदेशों को जारी करते हुए हुए यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि इस साइबर क्राइम के युग मे विभाग में कार्यरत महिला शिक्षकों की फोटो की सुरक्षा कौन करेगा?साथ ही विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों की फोटो सहित उपस्थिति से 14 साल से कम आयु के बच्चों भेजने से बाल अधिकार अधिनियम का उलंघन होगा। उसका जिम्मेदार भी शिक्षक को ही ठहराया जाएगा। वातानुकूलित कक्ष में बैठकर प्रदेश के उच्च अधिकारी बेहद कठिन एवं दूरस्थ क्षेत्रो में पढ़ रहे नन्हे मुन्ने बच्चों का भविष्य तय कर रहे हैं। इसके लिए उन अधिकारियों को धरातल पर जाकर बच्चों के अभिभावकों एवं कार्य कर रहे शिक्षकों की कठिनाइयों को भी देखना होगा। उपस्थिति सम्बन्धी आदेश करते समय यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि विभिन्न प्रकार की भौगोलिक स्थिति वाले प्रदेश में आज भी सैकड़ों गांव ऐसे है जिनमें जाने के साईकिल के भी रास्ते नहीं है। हजारों ऐसे गाँव है जिनमें आज भी आवागमन के साधन नहीं है। प्रदेश के ऐसे सैकड़ों विद्यालय है जिनमे पहुंचने के लिए शिक्षकों के द्वारा कई नदियों को नाव से पार करके जाना पड़ता है।
यद्यपि सभी शिक्षक विद्यालय समय पर जा रहे है जिसका प्रमाण महानिदेशक द्वारा कई महीनों तक लगातार कराए गए सघन निरीक्षणों से साफ जाहिर है परन्तु यदि कोई शिक्षक गांवों के गलियारों में गन्ने, धान आदि की भरी ट्रैक्टर, बैलगाड़ी,के फंसे होने की दशा में,बाइक या साइकिल खराब होने की दशा में,या नदी पर नाव न मिलने की दशा में रास्ते मे लेट होगा तो वह अनुपस्थित माना जायेगा। तब शिक्षक बिलंब से ही सही विद्यालय में उपस्थित होने के बाद भी अनुपस्थित होकर उस दिन के वेतन से वंचित हो जाएगा। ऐसे आदेश केवल शिक्षकों को प्रताड़ित करने तथा सरकार के प्रति शिक्षकों एवं उनके परिवारों को आक्रोशित करने के लिए किए जा रहे हैं। इसके इतर प्रदेश के किसी भी विभाग में किसी भी कर्मचारी, अधिकारी की उपस्थिति आन लाइन नहीं ली जा रही है।परन्तु बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी शिक्षक को गुरु न मानकर चोर समझते हुए इस प्रकार की व्यवस्था जबरन लागू करने का प्रयास भयभीत करके कर रहे हैं। साथ ही दूसरी तरफ महानिदेशक महोदय प्रदेश के बेसिक शिक्षकों की न्यायोचित किसी भी समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं और न ही सरकार के सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं।
वर्ष 2013 से जनपदों के अंदर स्थानांतरण नहीं हुए, वर्ष 2015 से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं कि गयी, 17140-18150 की वेतन विसंगति 15 वर्षों से नहीं दूर की गई जिससे प्रदेश का 40 हजार शिक्षक प्रभावित है। पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत भी कार्यमुक्ति की कार्यवाही लंबित रखना, कैश लेश चिकित्सा सुविधा न देना। वर्षों से प्रोन्नति वेतनमान शिक्षकों को न दिया जाना, ईएल की सुविधा शिक्षकों को न देना,शिक्षण कार्य के अतिरिक्त तनाम गैर शशिक्षणिक कार्य शिक्षकों से लगातार कराना।, शासनादेश में मध्यान्ह भोजन बनवाने की व्यस्था ग्राम प्रधान द्वारा होने के बाद भी उक्त कार्य शिक्षकों से करवाना फिर मध्यान्ह भोजन के नाम पर प्रताड़ित करना। अनुदेशकों,शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि न करना,01 अप्रैल 2005 से पूर्व विज्ञापित विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन से आच्छादित करने सम्बन्धी सूचना से जानबूझ कर वंचित करना।
उपरोक्त समस्याओं का समाधान न होने आदेशों से आहत होकर सरकारी संसाधनों के अभाव में प्रदेश का बेसिक शिक्षक वह सभी सेवा नियमावली एवं नियम विरुद्ध आदेशों का वहिष्कार करता है।महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा लगातार किये जा रहे नियम विरुद्ध आदेशों को निरस्त करने हेतु निर्देश देने का कष्ट करें ।
शिक्षकों की सभी न्यायोचित समस्याओं का विन्दुवार समाधान करने हेतु भी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें।जब तक सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता है ।तब तक प्रदेश का बेसिक शिक्षक इसी प्रकार ऐसे सभी आदेशों का बहिष्कार करता रहेगा। जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन के अगले कदम के रूप में प्रदेश के बेसिक शिक्षकों के निजी मोबाइल में जबरन डाउनलोड कराई गई सभी सरकारी ऐपों को अनस्टाल करने का काम करेंगे तथा जिले एवं प्रदेश स्तर पर शांति पूर्ण आंदोलन करने की घोषणा करेंगे।
ज्ञापन देने वालों में लाल करन जिला अध्यक्ष,नन्द किशोर गंगवार महामंत्री, देवेंद्र कन्हैया कोषाध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष व जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ एव उपाध्यक्ष राज्य संयुक्त कर्मचारी परिषद अनीता तिवारी,पूनम सहगल,विभा मिस्रा,भारती संतबानी,मुकेश अवस्थी,जिला अध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
दयाशंकर गंगवार,जिला अध्यक्ष,प्राथमिक शिक्षक संघ सुशील प्रजापति, अध्यक्ष विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन,श्याम लाल,सतेंद्र कुमार,राजीव गुप्ता,आसिफ अंसारी,हिमांशु कुमार, अजय प्रकाश रवि, रवींद्र कुमार शर्मा,हफीज अहमद,प्रेम पाल वर्मा,कपिल कुमार,शारिक निगार,योगेंद्र शर्मा,राम चंद्र लाल,मो. सुहेल,रांति देव सहित सैकड़ों की संख्या में शिक्षक और शिक्षिकाएं मौजूद रहीं।