सऊदी अरब और रूस की मिलिभगत ने दुनिया के तेल बाजार में जबरदस्त हलचल मचा दी है. तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस के सदस्य इन दोनों देशों ने कच्चे तेल की कीमत को बढ़ाने के लिए जुलाई 2023 में तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी. लेकिन कम तेल उत्पादन के बावजूद रूस और सऊदी अरब अरबों डॉलर की अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं. ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया था
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जून महीने के बीच की अवधि की तुलना में रूस ने इस तिमाही तेल निर्यात से 2.8 अरब डॉलर की अतिरिक्त कमाई की है. इसी अवधि के दौरान सऊदी अरब ने 2.6 अरब डॉलर की अतिरिक्त कमाई की है. रिपोर्ट में बताती है कि इस अतिरिक्त कमाई का कारण तेल उत्पादन में कटौती के बाद कच्चे तेल की कीमतों का काफी बढ़ जाना है
कितनी बढ़ी तेल की कीमतें
रूस और सऊदी अरब ने जुलाई 2023 में जब तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की थी तब कच्चे तेल की कीमत लगभग 76 डॉलर प्रति बैरल थी. कच्चे तेल की कीमत आज लगभग 93 डॉलर प्रति बैरल है. सऊदी अरब और रूस ने उत्पादन में कटौती को इस साल के अंत तक जारी रखने का फैसला किया है
एकस्पर्ट्स मानते हैं कि कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकती है. इसकी वजह सेवे तेल बाजार में तेल की कम उपलब्धता और लगातार कम आपूर्ति बताते हैं
सऊदी अरब और रूस को बड़ा फायदा
सऊदी अरब और रूस यह अतिरिक्त कमाई एक बड़ी सफलता है. इस कमाई से जहां सऊदी अरब को जहां अपनी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी. दूसरी तरफ रूस को यूक्रेन युद्ध के दौरान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने का मौका मिला है.
दुनिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि वैश्विक महंगाई का कारण बन सकती है. .खासतौर से तब जब कई देश अब भी कोविड के झटके से उबर रहे हैं. भारत कुल जरूरत का 87 फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल आयात से पूरा करता है. ऐसे में इसका असर भी भारतीय तेल बाजार पर पड़ेगा