बरेली कालेज से निकले संतोष आठ बार बने सांसद

छात्र हित की आवाज बुलंद करने वाले उस दौर के नौजवान आज सक्रिय राजनीति का बड़ा चेहरा बन चुके हैं। कालेज परिसरों में कार्यकर्ताओं की टोलियों के साथ घूमने वाले संतोष गंगवार हों या भगवत सरन गंगवार, उन्होंने दिल्ली-लखनऊ का रास्ता उसी कैंपस से तय किया था। लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच मंडल के ऐसे कुछ पूर्व छात्र नेताओं के बारे में बता रहे, जो इस मैदान में किसी ने किसी रूप में सक्रिय हैं।

बरेली कालेज से निकले संतोष आठ बार बने सांसद

सांसद संतोष कुमार गंगवार बरेली कालेज में पढ़ाई के दौरान राजनीति में सक्रिय हुए थे। उसी दौरान उनका चेहरा शहर के लिए परिचित हो गया था। पढ़ाई पूरी करने के बाद कालेज से बाहर आने पर भाजपा के लिए काम करने लगे। संगठन के रास्ते संसदीय चुनाव में उतरे संतोष गंगवार छह बार लगातार सांसद रहे। वर्ष 2009 में वह हारे थे मगर, 2014 और 2019 में वापसी कर अपना राजनीतिक कौशल साबित कर दिया था।

विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके संतोष गंगवार बरेली की राजनीति के शिखरों में एक हैं। इस बार वह प्रत्याशी नहीं हैं, मगर मंडल की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना और पूर्व वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल भी इसी कालेज में पढ़े थे।

बरेली कालेज में दिखी थी अशोक कटारिया की चमक

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक करियर शुरू करने वाले पूर्व मंत्री अशोक कटारिया को भाजपा के सक्रिय नेताओं को प्रदेश स्तर पर जाना जाता है। मूल रूप से बिजनौर के निवासी अशोक विद्यार्थी परिषद के पूर्ण कालिक कार्यकर्ता के तौर पर बरेली आए थे। उनकी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बरेली कालेज बना था।

यहां से पूरे मंडल के छात्रों को जोड़ने वाले अशोक कटारिया भाजपा में गए तो प्रदेश स्तरीय कई पदों पर रहे। भाजपा ने उन्हें विधान परिषद में भेजने के बाद परिवहन मंत्री बनाया था। उनकी सक्रियता और साख के आधार भाजपा ने बीते दिनों दोबारा विधान परिषद सदस्य बना दिया। वह गुर्जरों का बड़ा चेहरा माने जाते हैं, स्टार प्रचारकों में भी शामिल हैं।

पांच बार विधायक बने थे भगवत सरन गंगवार

नवाबगंज निवासी भगवत सरन गंगवार ने भी छात्र राजनीति से आरंभ किया गया था। उन्होंने पहला चुनाव भाजपा से लड़ा था। उसके बाद सपा का प्रमुख चेहरा बन गए। वह पांच बार विधानसभा जीते चुके। सपा सरकार के दौरान दो बार मंत्री रहे थे। इस बार वह सपा प्रत्याशी के तौर पर पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।

छत्रपाल सिंह गंगवार दो बार बने विधायक

बहेड़ी निवासी छत्रपाल सिंह गंगवार पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। उसके कुछ समय बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बन गए। छात्र राजनीति से आंरभ करने वाले छत्रपाल सिंह गंगवार दो बार बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं। एक बार मंत्री भी बनाए गए थे। इस बार वह बरेली लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी हैं।

छात्र राजनीति से ये भी चमके

बरेली कालेज में छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके प्रशांत पटेल विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। पिछली बार जिला पंचायत चुनाव के दौरान वह प्रमुख रणनीतिकार रहे थे। महिला सीट होने के कारण उन्होंने भाभी रश्मि पटेल को चुनाव लड़ाया, उन्हें जीत मिली। भूपेंद्र कुर्मी भी बरेली कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं। इस समय वह सपा में सक्रिय हैं, ब्लाक प्रमुख हैं।

फरीदपुर के विधायक प्रो. श्यामबिहारी लाल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों पर रहे थे। उसी रास्ते भाजपा में आए। पहले विधानसभा चुनाव में सफलता नहीं मिली, मगर उसके बाद दो बार लगातार जीत चुके हैं। रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके शिवप्रताप यादव सपा में सक्रिय हैं। वह एमएलसी चुनाव लड़ चुके हैं। मयंक शुक्ला मोंटी ने भी बरेली कालेज से छात्र राजनीति का शुरुआत की थी। इस समय वह सपा में प्रदेश प्रवक्ता हैं।

छात्र राजनीति ने दिखाई एमएलसी बनने की राह

पूर्व सांसद सत्यपाल सिंह यादव के बेटे अमित यादव रिंकू ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति की शुरुआत की। छात्र राजनीति में लगातार सक्रिय रहने की वजह से बरेली से शाहजहांपुर जिले तक अच्छी पकड़ हो गई। यही वजह रही कि वर्ष 2016 में एमएलसी का चुनाव लड़े तो विजयश्री हासिल की। सक्रिय राजनीति में छाप छोड़ने के बावजूद छात्र राजनीति से दूरी नहीं बनाई। समाजवादी पार्टी में सक्रियता के साथ राजनीति कर रहे हैं।

छात्र राजनीति से लोकसभा चुनाव के मैदान तक

दुर्विजय सिंह दुर्विजय सिंह शाक्य ने भी छात्र राजनीति से आरंभ किया था। बरेली कालेज और रुहेलखंड यूनिवर्सिटी में सक्रिय रहने वाले दुर्विजय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री रहे। वहां से मुख्य धारा में शामिल कर भाजपा में पदाधिकारी बना दिए गए थे। विभिन्न पदों पर रहने के बाद बृज क्षेत्र के अध्यक्ष बनाए गए। लोकसभा चुनाव में उन्हें बदायूं से प्रत्याशी बनाया गया है।

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