फाइलेरिया से बचाव को साल में एक बार ,दो साल लगातार खाएं दवा

  • आईडीए राउंड को बनी 3,064 टीमें, 34.74 लाख को दवा खिलाने का लक्ष्य
    बाराबंकी। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 से 28 फरवरी के बीच सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगे। जिले के 34.74 लाख लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी। जिसको लेकर 3,064 टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम प्रतिदिन 25 घरों का भ्रमण कर कम से कम 125-130 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएगी। इन टीमों के सुपरविजन के लिए 511 सुपरवाइजर भी तैनात किए गए हैं।
    सीएमओ डॉ. अवधेश कुमार यादव ने बताया कि दवा के सेवन से लिम्फोडिमा (हाथ, पांव और स्तन में सूजन) व हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) से बचाव होगा। इस दवा का लगातार तीन साल तक साल में एक बार सेवन करने से फाइलेरिया से बचाव होता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचने का उपाय समय पर फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना है।
    एसीएमओ एवं नोडल वीबीडी डॉ. डी.के श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान के दौरान जिले में तीन दवाएं (आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजॉल) खिलाई जाएंगी। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी। डाईइथाइल कार्बामाजिन (डीईसी) की गोली उम्र के हिसाब से खिलाई जाएगी। दो साल से कम उम्र के बच्चों को यह गोली नहीं दी जाएगी। 2 से 5 साल तक की उम्र के बच्चों को एक गोली, 5 से 15 साल तक को दो गोली और 15 साल से अधिक के लोगों को 3 गोली खिलाई जाएगी।
    इनसेट —
    खाली पेट नहीं खानी है दवा —
    जिला मलेरिया अधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती माताओं और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानाम है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।

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