रामलला को ला सकते हैं तो मथुरा और काशी को भी लाकर दिखाएंगे

राजधानी जयपुर में विद्याधर नगर स्टेडियम में बालाजी गोशाला संस्थान सालासर एवं विद्याधर नगर स्टेडियम आयोजन समिति की ओर से रामकथा आयोजित की जा रही है। कथावाचक जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने सोमवार को कहा कि रामलला को ला सकते हैं तो मथुरा और काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे। राष्ट्र की चिंता एक संत ही कर सकता है, परिवार वाला भक्त नहीं। रेवासा पीठ की दुर्दशा नहीं होने देंगे। रेवासा में जो हुआ वो परंपरा के विरूद्ध है।

इस दौरान उन्होंने ताड़का वध और राम विवाह की लीला का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान राम जब विश्वामित्र के साथ अयोध्या से वन के लिए गए। इस दौरान उन्होंने ताड़का का वध किया। उससे पहले ताड़का ने श्रीराम के सामने कई महिमा मंडन किए। देवता तो कई है लेकिन राम जैसा कोई नहीं। राम जैसा काई राजा, त्यागी, स्वामी, दानी नहीं है। लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता राम जी के विवाह का प्रसंग सुनाया। भजन राजे भी देखे महाराजे भी देखे मेरे राम जैसा कोई राजा न देखा.. पेश किया। कार्यक्रम संयोजक राजन शर्मा और आयोजन समिति के सचिव अनिल संत ने बताया कि कथा के बाद भजन संध्या का आयोजन हुआ। भजन गायक लखबीर सिंह लक्खा समेत मुंबई और कोलकाता के गायकों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी।
गोशाला संस्थान के अध्यक्ष रवि शंकर पुजारी, मुकेश गोयल, आलोक अग्रवाल, सुखलाल जैसनसरिया, अवंत जैन, रामावतार खंडेलवाल, संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल, आरएएस पंकज ओझा, पंकज गोयल, जगदीश चौधरी, राजेश शर्मा, गोपेश शर्मा सहित अन्य ने आरती की।

अब हर साल आउंगा छोटीकाशी
कथा के बीच में रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं कठोर कहने में बदनाम हूं। किसी भी संत को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। इस बार कुंभ में हम कुछ ऐसा करेंगे कि विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा। यह देश गांधी परिवार का नहीं है। यह राष्ट्र हमारा है। सनातनियों का है, विधर्मियों का नहीं है। चित्रकूट धाम में छह दिसंबर को संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करूंगा। सभी को आकर देखना चाहिए की देश की संस्कृति कैसे स्थापित की जाती है। देश में गो हत्या बंद करवा कर रहेंगे। हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाएंगे। अब हम सत्ता परिवर्तन नहीं चाहते। स्वामी ने कहा कि 21 साल बाद जयपुर आया हूं। यहां से अलग लगाव है।

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