राकेश और सुरेंद्र ने रोका कुर्मी मतदाताओं का ध्रुवीकरण

इंडी गठबंधन और भाजपा के लिए निर्णायक साबित होंगे कुर्मी मतदाता, हुआ कांटे का मुकाबला

बाराबंकी। बाराबंकी संसदीय क्षेत्र में 2019 के मुकाबले इस बार का चुनाव कांटे का होगा। आंकड़ों के अनुसार बाराबंकी संसदीय क्षेत्र में साढ़े तीन लाख आबादी सिर्फ कुर्मी वोटरों की है, यानि कि करीब 17 प्रतिशत कुर्मी मतदाता हैं। जो किसी भी पार्टी के उम्मीदवार की जीत और हार में अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र में शुरू से कुर्मी, मुसलमान और दलितों की संख्या ज्यादा रही है। यहां यादव और ब्राह्मण वोट भी खास मायने रखता है। हालांकि बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र में जातीय वोट बैंक को लेकर हर चुनाव में समीकरण बदलता है। इस बार राष्ट्रीय राजनीति की विचारधारा के साथ साथ जातीय फैक्टर भी वोटरों का मूड बदलते नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के शुरू होते ही गठबंधन प्रत्याशी तनुज पुनिया के समर्थन में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कुर्मी बिरादरी के अगुआ रहे बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा और कुर्मी समाज के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री संग्राम सिंह वर्मा के छोटे भाई सुरेंद्र सिंह वर्मा ने चुनाव की कमान संभाल रखी है। कुर्मी वोटरों को साधने के लिए राकेश वर्मा और सुरेंद्र वर्मा ने काफी हद तक मतदाताओं से तनुज को जीतने की अपील की है। कुर्मियों का वोट इंडी गठबंधन के तरफ साधने के लिए सुरेंद्र वर्मा ने गांव गांव तक कांग्रेस और सपा का न्याय पत्र समझाया है। हालांकि भाजपा ने भी कुर्मी समाज से कई नामचीन चेहरे एक साथ चुनावी ताकत झोंक दिया है। भाजपा प्रत्याशी राजरानी रावत के साथ जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, एमएलसी अवनीश सिंह पटेल, डॉ विवेक सिंह वर्मा आदि खड़े नजर आए। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने विशाल मंच से कुर्मी वोटरों को साधने के लिए बेनी वर्मा के नाम का सहारा लेना पड़ा। बहरहाल, आज मतदान का दिन है, अब देखना होगा कि कुर्मी वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करके भाजपा या इंडी गठबंधन में से किसका नेतृत्व स्वीकार करेगी।

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