राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए सिर्फ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ही नहीं बल्कि बहुजन समाज पार्टी भी पूरा जोर लगा रही है. बसपा इस चुनाव में सभी 200 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है. इसमें से पार्टी 60 सीटों पर खास फोकस कर रही है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 6 सीटें हासिल की थीं. हालांकि सभी विधायक बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. बसपा को उम्मीद है कि अगर चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, दोनों बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं मिलता तो वह किंगमेकर बन सकती है.
पिछले चुनाव में विधायकों के बागी होने के बाद बसपा ने इस बार उम्मीदवारों का चयन यह ध्यान में रखते हुए किया है कि सभी बसपा चीफ मायावती और पार्टी के प्रति वफादार हों.
अंग्रेजी अखबार इकॉनमिक टाइम्स के अनुसार बीएसपी की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा कि हम सभी 200 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. बीते 5 सालों में हमने 60 सीटों पर अपनी ताकत लगाई है. हमारी कोशिश है कि चुनाव परिणामों के बाद सत्ता का संतुलन बना रहे.
अपने विधायकों को मंत्री बनाएंगे- BSP
दीगर है कि राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बाद, बसपा सबसे बड़ी पार्टी है. साल 1998 के चुनाव में पहली बार 2 सीटें हासिल करने वाली बसपा का प्लान है कि विधायकों के टूटने की गतिविधियों से बचने के लिए पार्टी सरकारों को बाहर से समर्थन नहीं देगी बल्कि सत्ता का साझेदार बनेगी. अखबार के अनुसार बसपा के एक सूत्र ने कह कि अगर इस बार जरूरत पड़ी तो हम अपने विधायकों को मंत्री बनाएंगे.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की बात करें तो बसपा ने 190 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 178 पर उसकी जमानत जब्त हुई थी. इसके अलावा उसे 6 सीटों पर जीत मिली थी. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने राजस्थान में राष्ट्रीय पार्टी की हैसियत से चुनाव लड़ा था. उसे 4.03 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट बीएसपी (14 लाख 35 हजार 858) को मिले थे