ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण की आवासीय प्लॉट योजना सवालों के घेरे में आ गई है। पूर्वी दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के पूर्व महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने प्लॉट योजना में दो सौ करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है।
प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई में शिकायत कर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने की मांग की है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व प्राधिकरण चेयरमैन को शिकायत कर कार्रवाई की मांग है। यमुना प्राधिकरण ने पांच जुलाई को 361 आवासीय प्लॉटों की योजना निकाली थी।
23 अगस्त तक बढ़ाई आवेदन की तारीख
इसमें आवेदन के लिए अंतिम समय सीमा पांच अगस्त और ड्रॉ 20 सितंबर को प्रस्तावित किया गया था, लेकिन प्राधिकरण ने बाद में आवेदन की समय सीमा को 23 अगस्त तक बढ़कर ड्रॉ की तारीख 10 अक्टूबर तय कर दी।
ICICI Bank को लाभ पहुंचाने का आरोप
पूर्व महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने प्राधिकरण को कठघरे में खड़ा करते हुए आईसीआईसीआई बैंक को लाभ पहुंचाने के लिए आवेदन की समय सीमा बढ़ाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्राधिकरण ने योजना के लिए केवल आईसीआईसीआई बैंक को ही अधिकृत किया है।
बैंक ने 120 वर्गमीटर प्लॉट की पंजीकरण राशि तीन लाख लोन के लिए आवेदकों से 11000 हजार वसूल किए। योजना में आवेदन व ड्रॉ की समय सीमा को बढ़ाने से सीधा फायदा बैंक को हुआ है। उसे आवेदकों से ब्याज के तौर पर अधिक राशि मिलेगी।
‘बैंक को सीधे तौर पर 200 करोड़ का फायदा’
योजना में शामिल अन्य प्लॉटों को शामिल किया जाए तो बैंक को सीधे तौर पर 200 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया गया है। पूर्व मेयर ने प्राधिकरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब 361 प्लॉटों के सापेक्ष एक लाख से अधिक आवेदन मिल चुके थे तो आवेदन और ड्रॉ की समय सीमा बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं था।
आवेदकों की पंजीकरण राशि के लिए उन्हें करीब 40 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसके लिए सीधे तौर पर प्राधिकरण जिम्मेदार है। उनका कहना है कि जब आवेदकों से 12 प्रतिशत ब्याज लिया जा रहा है तो असफल आवेदकों की पंजीकरण राशि 12 प्रतिशत ब्याज संग वापस होनी चाहिए।