मुकुंद
पंजाब और हरियाणा के धान उत्पादक किसानों को उपज बेचने के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार धान का दाना-दाना खरीदेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने साफ किया है दोनों राज्यों में खरीद लक्ष्य हासिल करने के लिए वह प्रतिबद्ध है। अनाज का एक भी दाना बिना खरीद के नहीं छोड़ा जाएगा। भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) की वेबसाइट पर 30 अक्टूबर को जारी विवरण में शीशे की तरह यह बात साफ की गई है। इसमें कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा हमारे देश के खाद्यन्न भंडार हैं। यही नहीं, हर साल की तरह खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2024-25 के दौरान इन दोनों राज्यों से क्रमशः 185 मीट्रिक टन (एलएमटी) और 60 एलएमटी धान की खरीद होने का अनुमान है।
केंद्रीय पूल की खरीद में इन दोनों राज्यों की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है। दोनों राज्यों में खरीद कार्य तेजी से चल रहा है। पंजाब में धान की खरीद पहली अक्टूबर और हरियाणा में 27 सितंबर से शुरू हो चुकी है। हालांकि सितंबर में भारी बारिश की वजह से धान में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण कटाई और खरीद में देरी हुई। बावजूद इसके दोनों राज्य धान खरीद के अनुमान को निर्धारित तिथियों यानी पंजाब के लिए 30 नवंबर तक और हरियाणा के लिए 15 नवंबर तक हासिल करने की ओर अग्रसर हैं। अब तक पंजाब में 10 लाख किसानों और हरियाणा में 4.06 लाख किसानों ने केएमएस 2024-25 में अपनी उपज बेचने के लिए पंजीकरण कराया है।
खरीद के आधिकारिक विवरण के अनुसार, हरियाणा में 29 अक्टूबर तक 45 एलएमटी और पंजाब में 67 एलएमटी धान की खरीद की जा चुकी है। पिछले वर्ष की तुलना में हरियाणा और पंजाब में धान का खरीद प्रतिशत अखिल भारतीय खरीद की तुलना में समान है। मिलिंग कार्यों के लिए राज्य सरकारों ने इस बार भी चावल मिल मालिकों को शामिल किया है। कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की डिलीवरी के लिए आवेदन करने वाले 4400 मिल मालिकों में से पंजाब सरकार 29 अक्टूबर तक 3850 मिल मालिकों को काम आवंटित कर चुकी है। हरियाणा में 1452 मिल मालिकों ने सीएमआर की डिलीवरी के लिए आवेदन किया है। राज्य सरकार ने 1319 मिलर्स को काम आवंटित भी कर दिया है। पंजाब की मंडियों से हर दिन औसतन करीब चार एलएमटी धान उठाया जा रहा है। इससे साफ है कि बाकी 118 एलएमटी धान का लक्ष्य 30 नवंबर तक आसानी से हासिल कर लिया जाएगा। हरियाणा में प्रतिदिन करीब 1.5 एलएमटी धान औसतन उठाया जाता है। लिहाजा 15 नवंबर तक शेष अनुमानित 15 एलएमटी का लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया जाएगा।
केंद्र सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि एमएसपी व्यवस्था का लाभ सभी किसानों को मिले। धान का एमएसपी 2013-14 में 1310 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2023-24 में 2300 रुपये क्विंटल हो गया है। वर्ष 2018-19 से एमएसपी अखिल भारतीय भार औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 फीसद रिटर्न के साथ मिल रही है। इस साल 29 अक्टूबर तक पंजाब में 350961 किसानों को 13211 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई। केएमएस 2024-25 के लिए हरियाणा में 275261 किसानों को 10529 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। खरीद के 48 घंटे के भीतर यह धनराशि डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में जमा की जा रही है। सबसे अच्छी बात यह है कि दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए संपूर्ण खरीद प्रक्रिया को डिजिटल किया जा चुका है।
खुशी की बात यह है कि खाद्य सब्सिडी के लिए बजटीय आवंटन और रिलीज पिछले 10 साल में इससे पूर्व के दशक के मुकाबले चार गुना से अधिक हो गई है। वर्ष 2014-15 से 2023-24 के दौरान खाद्य सब्सिडी पर लगभग 21.56 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 2004-05 से 2013-14 के दौरान करीब 5.15 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। कोविडकाल के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के प्रत्येक लाभार्थी को पांच किलोग्राम अतिरिक्त खाद्यान्न मुफ्त उपलब्ध कराने के कारण खाद्य सब्सिडी के लिए धन आवंटन में काफी वृद्धि हुई। यह स्थिति दिसंबर 2022 तक जारी रही। समाज के गरीबों और कमजोर वर्गों के कल्याण और पूरे देश में एकरूपता सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए एक जनवरी 2023 से केंद्रीय निर्गम मूल्य (सीआईपी) को शून्य कर दिया गया। तब से अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों और पात्र गृहस्थी योजना राशन कार्ड (पीएचएच लाभार्थियों) को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।
राइल मिल मालिकों की चिंता करते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरणमंत्री प्रह्लाद जोशी 28 अक्टूबर को राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक ऐप आधारित एफसीआई शिकायत निवारण प्रणाली (एफसीआई जीआरएस) लॉन्च करने की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मार्च, 2025 तक पंजाब से हर महीने 13-14 एलएमटी गेहूं निकालने के लिए एक विस्तृत डिपो-वार योजना तैयार की गई है। भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी एफसीआई) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति इस योजना की निगरानी कर रही है।