प्रदेश में धान की लिफ्टिंग न होने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट सख्त

चंडीगढ़। पंजाब में धान की लिफ्टिंग में हो रही देरी के खिलाफ पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में वीरवार को सुनवाई हुई। याचिका में धान की पिछले वर्ष की फसल गोदामों से हटाने और 2024-2025 की धान की नई फसल के लिए जगह बनाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को नोटिस जारी किया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि यदि केंद्र मामले में दखल दे तो धान की लिफ्टिंग की समस्या का समाधान हो सकता है। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने खरीद में देरी होने पर स्पष्टीकरण दिया। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को इस समस्या का हल निकालने का निर्देश देते हुए 29 अक्तूबर को सुनवाई तय की है।

एडवोकेट सनप्रीत सिंह ने याचिका में बताया कि पंजाब सरकार ने अभी तक धान की खरीद शुरू नहीं की है। अगर फसल की खरीद समय पर नहीं की जाती है तो किसानों को समय पर उनकी फसल का भुगतान नहीं मिलेगा। ऐसा हुआ तो फसल के लिए औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों से लिए गए ऋण की अदायगी में देरी होगी। ऐसा होने पर उन्हें नई फसल के लिए नकद ऋण मिलने में और देरी होगी। इस देरी से किसानों पर अतिरिक्त ब्याज दर का बोझ पड़ेगा, जो राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं
याचिका में यह भी कहा गया कि अगर पंजाब में धान की खरीद में देरी होती है तो अगली फसल यानी गेहूं की बुवाई में भी देरी होगी। बीज बोने की तारीख 01 नवंबर तय की गई है और इसलिए किसानों के पास अगली बुवाई के लिए अपने खेत तैयार करने के लिए बहुत कम समय है। ऐसा हुआ तो किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, जिसका पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।

किसान कर रहे विरोध
याची ने कहा कि एफसीआई के गोदामों में भंडारण स्थान की कमी और मंडियों में नए धान की आवक ने राज्य में संकट को बढ़ा दिया है। किसानों ने 13 अक्टूबर से अपने धान की खरीद न होने के विरोध में पूरे पंजाब में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

सरकार खरीद प्रक्रिया में है
किसानों द्वारा धान की कटाई की जा रही है और उसे सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद के लिए मंडियों में ले जाया जा रहा है, लेकिन सरकारी एजेंसियां किसानों से उपज नहीं खरीद रही हैं।

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