करोड़ों खर्च होने के बाद शोपीस बने सार्वजनिक शौचालय!

  • साल भर पहले घटिया निर्माण सामग्री से बने यह शौचालय नहीं आ रहे हैं ग्रामीणों के काम
  • कागज पर ‘केयर टेकर’, हकीकत में शौचालयों में लटके ताले

निष्पक्ष प्रतिदिन /राम मोहन गुप्ता

बीकेटी, लखनऊ।बीकेटी विकास खंड क्षेत्र के प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक सामुदायिक सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया है। पर इन सुलभ शौचालयो में ताला लटकने की वजह से गांव के नागरिकों को इससे एक पाई का लाभ नहीं हो रहा है।
जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में 94 ग्राम पंचायतें हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में ₹700000 की लागत से सुलभ शौचालय का निर्माण करवाया गया है। इसकी देखभाल के लिए ₹6000 मानदेय देकर एक कर्मी को रखा गया है। इतना ही नहीं ₹3000 इसकी साफ-सफाई होने के लिए ग्राम पंचायत को शासन द्वारा मुहैया कराया जाते हैं।इतना सब तामझाम होने के बावजूद भी इन सुलभ शौचालयों से क्या लाभ है।  जो इस ग्राम सभा की नागरिक उसका इस्तेमाल कर सके। ये सुलभ शौचालय मात्र ग्राम पंचायत के लिए शो पीस बनकर रह गए है। इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तथा नागरिकों ने बताया कि सुलभ शौचालय अरम्बा ग्राम पंचायत में तो ग्राम प्रधान और सचिव की उदासीनतशा के कारण लाखों की लागत से बने सामुदायिक शौचालय उपयोग विहीन है क्योंकि इस शौचालय का तो एक साल से ताला ही नहीं खोला गया है। ग्रामीण का कहना है कि शौचालयो को बंद रखना का एक कारण यह भी है कि सामुदायिक शौचालय की रिथति तो ऐसी है कि कई ग्राम पंचायतो दौलतपुर, सहादत नगर गढ़ा, अकडरिया कला, सुभाष नगर अरिगवा, महिगवा,कुनौरा शाहपुर, बाहर गांव, सुबंशीपुर, शिवपुरी, मवई कला तथा अन्य पंचायत के सुलभ शौचालय में ताला लटकता रहता है।बताते चले कि का सुलभ शौचालय आज तक पंचायत को हैंडओवर तक नही किया गया है। इससे यहां की 3000 आबादी इस त्रासदी को झेल रहे है। रेवामऊ ग्राम पंचायत का सुलभ शौचालय अधूरा है। शासन ने इन सुलभ शौचालय का निर्माण इसलिए करवाया है की अशक्त गरीब बेसहारा तथा अन्य नागरिक इन सुलभ शौचालय का प्रयोग कर सके।इस क्षेत्र के नागरिकों ने बताया कि जब तक सरकार इस ओर सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं करेगी। तब तक नागरिक शासन की लाभकारी योजनाओं से वंचित रहेंगे। अब ग्राम पंचायत की सारी योजनाएं ग्राम प्रधान व सचिव के हांथ की कठपुतली बनकर रह गए है। इस संबंध में ज़ब जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाने की जरूरत नहीं समझी।

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