पंजाब विधानसभा में केंद्रीय कृषि विधेयक को निरस्त करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से किया गया पारित

भगवंत मान सरकार ने मंगलवार को पंजाब विधानसभा में केंद्रीय कृषि विधेयक को निरस्त करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे विधायकों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया. राज्य सरकार ने पिछले महीने ही केंद्र सरकार की इस नीति पर विरोध जताया था. भगवंत मान सरकार का कहना है कि यह नीति 2021 में रद्द किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को नए रूप में लागू करने का प्रयास है.

वहीं, पंजाब विधानसभा से केंद्र सरकार के कृषि पर पॉलिसी का ड्राफ्ट को रद्द करने का प्रस्ताव पास हो गया है. इसको लेकर शंभू बॉर्डर पर अपनी मांगों के लेकर बैठे किसान संगठनों की ओर से भी पंजाब सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था. बीते दिन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रदेश नेता सरवन सिंह पंधेर ने नई मंडी नीति के मसौदे के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर इसका विरोध करने की मांग की थी.

‘नए कृषि बिल में भी पुराने प्रावधान को दोहराया गया’
पंजाब सरकार का कहना है कि केंद्र की कृषि मार्केटिंग नीति किसान विरोधी है. केंद्र सरकार पुराने तीन कृषि कानूनों की जगह इसे लाकर किसानों को धोखा देना चाहती है. भगवंत मान सरकार ने पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया था. इसके दूसरे दिन यह प्रस्ताव पारित किया गया. जबकि इस दौरान बीजेपी के दो विधायक सदन से अनुपस्थित रहे.

किसान संगठनों ने सरकार की नई कृषि नीति के मसौदे का विरोध भी किया था. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार की नई नीति रद्द किए गए तीन कृषि कानूनों को नए तरीके से लागू करने की कोशिश है. यह किसानों को कतई मंजूर नहीं है. नए कृषि बिल में भी पुराने प्रावधान को दोहराया गया है. इस कानून में किसानों को एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज बेचने की अनुमति दी गई थी.

क्या है केंद्र की कृषि मार्केटिंग नीति?
कृषि मार्केटिंग नीति का मसौदा केंद्र सरकार ने पिछले साल 25 नवंबर को सार्वजनिक किया था. इस योजना का उद्देश्य नए और अभिनव विचारों के साथ नवगठित सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करना है. किसानों, राज्यों, सहकारी समितियों और निजी क्षेत्र के निवेशों को बैकएंड सब्सिडी सहायता प्रदान करना और कृषि मार्केटिंग बुनियादी ढांचे के निर्माण को बढ़ावा देना है.

सरकार का कहना है कि किसानों की बाजार तक पहुंच सीमित है. इस नीति के जरिए किसान अपनी फसल को मंडी से बाहर भी बेच सकेंगे. उन्हें निजी खरीदारों और उपभोक्ताओं को अपनी फसल बेचने की आजादी होगी. वहीं, सीएम भगवंत मान ने विधानसभा में कहा कि केंद्र सरकार फिर से अप्रत्यक्ष रूप से काले कानूनों के तहत मंडीकरण को खत्म करना चाहती है, लेकिन हम पूरी मजबूती से पंजाब के किसानों के साथ खड़े हैं.

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