भारतीय सेना ने अपने शीर्ष अधिकारियों के प्रमोशन के लिए एक नई पॉलिसी अपनाई है. अब लेफ्टिनेंट जनरलों का प्रमोशन मूल्यांकन आधारित प्रणाली के तहत होगा. जो 31 मार्च से लागू किया जाएगा. इस नई पॉलिसी का उद्देश्य मेरिट आधारित चयन को बढ़ावा देना है, जिससे इन अधिकारियों को थिएटर कमांड और अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियों के लिए चुना जा सके.
नई पॉलिसी में लेफ्टिनेंट जनरल के एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट के लिए अपडेटेड फार्म शामिल किए गए हैं. इसे वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट भी कहा जा रहा है. यह पॉलिसी सेना के उप-प्रमुख और छह ऑपरेशनल कमांड और एक प्रशिक्षण कमांड के कमांडर-इन-चीफ पर लागू नहीं होगी. ये आठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर होते हुए भी अन्य तीन-स्टार जनरलों से उच्च रैंक पर हैं.
नौसेना के प्रमोशन सिस्टम की तरह होगी नई पॉलिसी
सेना में 11 लाख से अधिक सैनिक हैं, जिनमें लगभग 90 लेफ्टिनेंट जनरल, 300 मेजर जनरल और 1,200 ब्रिगेडियर शामिल हैं. नई पॉलिसी भारतीय वायु सेना और नौसेना के प्रमोशन सिस्टम के ही समान होगी, जहां पहले से ही रैंक आधारित मूल्यांकन प्रणाली लागू है और इसी के आधार पर चुनाव होगा.
पहले लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर कोई मूल्यांकन आधारित प्रणाली नहीं थी. अब उन्हें 1 से 9 के पैमाने पर अलग-अलग गुणों के आधार पर अंक दिए जाएंगे. इससे वरिष्ठता के बजाय मेरिट को प्राथमिकता दी जाएगी. मेरिट को प्राथमिकता देने से नए युवाओं का भी सेना में आने का मौका बढ़ जाएगा. नई नीति के तहत सभी तीन सेनाओं के शीर्ष रैंकों के लिए एक समान प्रणाली तैयार की जा रही है.
तीन थिएटर कमांड का खाका तैयार
उधर यह नीति ऐसे समय में लाई गई है जब चीन, पाकिस्तान और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए तीन थिएटर कमांड के लिए खाका तैयार किया गया है. इसका उद्देश्य युद्ध के लिए एकीकृत और प्रभावी तंत्र बनाना है, जिससे भारतीय सेना को और मजबूत किया जा सके.