नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को हरियाणा के फरीदाबाद में 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला- 2024 का उद्घाटन किया। आम जनता के लिए यह मेला 18 फरवरी तक खुला रहेगा।
राष्ट्रपति ने उद्घाटन समारोह में कहा कि मैं सभी कलाकारों को साधक मानती हूं। देश के शिल्पी भारत की सभ्यता और संस्कृति के निर्मात और संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि यह मेला कला प्रदर्शनी भी है और व्यापार केंद्र भी है। राष्ट्रपति ने मेले में भागीदारी कर रहे तमाम शिल्पकारों और मेले से जुड़े तमाम मंत्रालयों और सहयोगियों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “मैं इस मेले में भाग लेने वाले सभी कारीगरों को बधाई देती हूं। मुझे बताया गया है कि यह अंतरराष्ट्रीय मेला केंद्र और राज्य सरकार के सामूहिक प्रयासों से आयोजित किया गया है।”
उन्होंने कहा कि 1987 से शुरू किया गया यह वार्षिक मेला एक सफल आयोजन के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है। इसके लिए राष्ट्रपति ने वर्तमान और पूर्व टीमों की सराहना की। राष्ट्रपति ने देश की कला और विरासत को संजो कर रखने के लिए तमाम शिल्पकारों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि यह मेला हमारी सांस्कृति विविधता का उत्सव है। यह मेला हमारे शिल्पकारों को कला प्रेमियों से जोड़ने का प्रभावी मंच भी है। यह मेला कला प्रदर्शनी भी है और व्यापार केंद्र भी है।
राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने पूछा था कि इस मेले में देश-विदेश के हजारों स्टॉल लगे हैं तो अब तक कितनी खरीद-बिक्री हुई होगी। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि शायद 20 करोड़ से अधिक होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि इससे केवल खरीद-बिक्री नहीं यहां के शिल्पकार और कला संस्कृति से जुड़े शिल्पी की प्रतिभा से भी लोग परिचित होते हैं और बाद में भी उनसे संपर्क रखते हैं। इससे हमारा आर्थिक विकास भी होता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सुंदर मेले का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।
मेले का आयोजन हरियाणा और केंद्र सरकार के सहयोग से किया जाता है। मेले में लगभग 50 देशों ने हिस्सा लिया। इस वर्ष मेला का सहयोगी देश तंजानिया है जबकि साझेदार राज्य गुजरात है। नॉर्थ ईस्टन हैंडीक्राप्ट एंड हैंडलूम कॉर्पोरेशन इस वर्ष मेले के सांस्कृतिक भागीदार हैं।