संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया

नई दिल्ली। आज संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। यह संयुक्त सत्र संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित हुआ। मंगलवार को देश में संविधान लागू होने के 75 साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस के अवसर पर विशेष स्मारक सिक्का भी जारी किया। साथ ही राष्ट्रपति ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया। संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति ने संस्कृत भाषा में संविधान की प्रति का विमोचन भी किया।

संविधान दिवस पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि ‘संविधान दिवस के पावन अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। आज हम सब एक ऐतिहासिक अवसर के भागीदार बन रहे हैं। 75 साल पहले संसद के इसी कक्ष में देश के संविधान के निर्माण का बहुत बड़ा काम संपन्न किया और उसी दिन इस संविधान को अपनाया गया। संविधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला है। आज कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। बाबा आंबेडकर ने संविधान सभा का नेतृत्व किया।’

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘भारत लोकतंत्र की जननी है। इसी भावना के साथ हम इस विशेष अवसर पर इकट्ठा हुए हैं। हमें उन अधिकारियों के अमूल्य योगदान को भी याद रखना चाहिए, जिन्होंने नेपथ्य में रहकर काम किया और देश के संवैधानिक मूल्यों को मजबूती दी। जिनमें प्रमुख भूमिका बीएन राव की थी, जो संविधान सभा के सलाहकार थे। आगामी 26 जनवरी को हम अपने गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ बनाएंगे। ऐसे समारोह हमारी राष्ट्रीय एकता को दर्शाते हैं। हमारी संविधान सभा में देश की विभिन्नता में एकता प्रदर्शित हुई थी। आज जिन पुस्तकों का विमोचन किया गया, उनमें लोगों को हमारे संविधान निर्माण के गौरवशाली इतिहास के बारे में पता चलेगा। हमारा संविधान कई वर्षों की मेहनत से बना, लेकिन ये हमारी आजादी की लड़ाई का परिणाम था। संविधान में भारत के आदर्शों, न्याय, स्वतंत्रता और समानता को भी परिलक्षित किया गया है।’

संविधान की भावना के अनुसार, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का दायित्व है कि वे लोगों की भलाई के लिए मिलजुलकर काम करें। देश के आर्थिक एकीकरण के लिए जीएसटी लागू किया गया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम से एक नए युग की शुरुआत की गई है। सरकार ने सभी वर्गों खासकर पिछड़े वर्ग की भलाई के लिए कई कदम उठाए हैं। गरीब लोगों को पक्का घर, बिजली पानी सड़क की सुविधा मिल रही है। चिकित्सा सेवाएं मिल रही हैं और देश में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा बनाया जा रहा है। इन प्रयासों के लिए मैं सरकार की सराहना करती हूं। न्यायपालिका, विचारधानी कैदियों के कल्याण के लिए भी प्रयासरत है।

कम संसाधन युक्त लोगों को न्याय मुहैया कराने की सुविधा बढ़ रही है। इससे हमारे संवैधानिक अधिकारों को शक्ति मिलती है। समाज में समरसता का निर्माण करना, महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करना और पर्यावरण आदि क्षेत्रों में काम हो रहा है। हमारा संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। हमने संविधान के माध्य से सामाजिक न्याय के अनेक लक्ष्यों को हासिल किया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को मजबूत बनाने का संदेश दिया है। आज देश आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही विश्वबंधु के विचारों को बढ़ावा दे रहा है।

संविधान सभा के दूरदर्शी सदस्यों ने एक प्रेरणादायक संविधान दिया, जो अन्य देशों के लिए भी आदर्श है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आज ही के दिन कहा था कि संविधान को जीवंत बनाए रखना उन लोगों पर निर्भर करता है, जो उसका संचालन करते हैं। जो संविधान में नहीं लिखा जाता उनका संचालन परंपराएं करती हैं। अब तीन चौथाई संविधान यात्रा के बाद देश ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। आने वाली पीढ़ियों को इन सफलताओं से अवगत कराया जाना चाहिए।

सरकार के काम की सराहना

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी स्पीच में कहा केंद्र सरकार के काम की तारीफ की। मुर्मू ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने समाज के सभी वर्गों खासकर पिछड़े वर्गों के लिए कई अभूतपूर्व काम किए है। गरीब लोगों को अब स्वास्थ्य,घर और खाद्य से जुड़ी सुरक्षा हासिल हुई है।

उपराष्ट्रपति ने संविधान को देश की आत्मा बताया
संविधान सभी देशवासियों को समान अधिकार देता है। समान अवसर देता है। संविधान दिवस पर उन्होंने कहा कि संविधान सभी को मौलिक अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराम आंबेडकर ने संविधान को देश की आत्मा बताई थी।

ओम बिरला ने की प्रोग्राम की शुरुआत, देश के लोगों से खास अपील
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संविधान दिवस के मौके पर कहा कि मैं सभी माननीय सांसदों से आग्रह करूंगा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में संविधान के 75 वर्ष पूरे होने को जनता के सहभागिता के साथ एक उत्सव के रूप में बनाएं। बिरला ने आगे कहा कि बाबा अंबेडकर साहब ने कहा था- हमारा संविधान एक ऐसा दस्तावेज होना चाहिए, जो न केवल हमारी देश की स्वतंत्रता और समानता की रक्षा करें बल्कि देश के लोगों को एक साथ लाने में मदद करें।

संविधान दिवस पर कांग्रेस के जयराम रमेश का पोस्ट,कई किताबों का दिया हवाला
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक्स हैंडल पर लिखा कि आज हम भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। संविधान निर्माण पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं और लिखी जा रही हैं। लेकिन दो किताबें कालजयी रचनाएं बन गई हैं। ग्रानविले ऑस्टिन की विद्वतापूर्ण पुस्तक “द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन: कॉर्नरस्टोन ऑफ ए नेशन” पहली बार 1966 में प्रकाशित हुई थी। उन्हें कई प्रमुख व्यक्तित्वों, विशेषकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद और के.एम. मुंशी के निजी संग्रहों तक अभूतपूर्व पहुंच प्राप्त हुई थी। उन्होंने संविधान सभा के कई सदस्यों का साक्षात्कार भी लिया था। बी. शिवा राव की चार खंडों वाली विशाल पुस्तक “द फ्रेमिंग ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन” 1968 में प्रकाशित हुई थी। इसमें नेहरू का शिवा राव को एक बहुत ही मार्मिक पत्र है, जो प्रधानमंत्री के निधन से सिर्फ तीन दिन पहले फोरवर्ड लिखने के लिए भेजा गया था। संयोग से, शिवा राव के लगभग अब भूले-बिसरे भाई बेनेगल नरसिंह राव संविधान निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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