नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने शुक्रवार को कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए जिंदगी बहुत कठिन होती है। डीयू में पढ़ने वाले दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को विश्वविद्यायल की ओर से विशेष लैपटाप उपलब्ध करवाने के लिए नीति बनाई जाएगी।
कुलपति डीयू के कला संकाय में राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ द्वारा आयोजित दो पुस्तकों के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। यह दोनों पुस्तकें दृष्टिबाधित लेखकों द्वारा लिखी गई हैं। इस अवसर पर पुस्तक ‘अंतिम जन तक’ की लेखक प्रो. कुसुमलता मलिक और ‘प्रज्ञा-नयन’ के लेखक डॉ. राम अवतार शर्मा भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पुस्तकों के ब्रेल संस्करण का भी लोकार्पण किया गया।
कुलपति ने कहा कि 90 प्रतिशत दृष्टिबाधित लोग गरीब देशों में रहते हैं और उनमें से एक तिहाई आबादी भारत में निवास करती है। इनके लिए हमें सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने तकनीक के युग में इस वर्ग के लिए विशेष कौशलों की आवश्यकता पर भी बल दिया। कुलपति ने कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए अब विशेष मोबाइल फोन और लैपटाप भी उपलब्ध हैं लेकिन अगर लुई ब्रेल उस ब्रेल लिपि को विकसित न करते तो शायद आज ये उपकरण भी न बनते।
इस अवसर पर लेखक प्रो. कुसुमलता मलिक और डॉ. राम अवतार शर्मा के अलावा आर्ट्स फैकल्टी के डीन प्रो. ए. चक्रबोर्ती, हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा, संतोष कुमार रुंगटा, जेपी अग्रवाल, प्रो. भारतेन्दु पाण्डेय और प्रो. राजकुमार सहित कई शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।