यूपी की राजधानी लखनऊ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां बसपा सरकार में मंत्री रहे राम लखन वर्मा के बेटे की पुलिस ने जान बचाई. बताया जा रहा है कि नशे की हालत में पूर्व मंत्री के बेटे उपकार सिंह ने घर के भीतर बंद कर दी जान देने की कोशिश. उपकार ने हाथ की नश काटकर अपने आपको कमरे में कैद कर लिया. सूचना मिलने पर हजरतगंज कोतवाली से पुलिस टीम मौके पर पहुंची.
हजरतगंज कोतवाली पुलिस ने उपकार सिंह को बातों में उलझाकर कमरे के दरवाजा तोड़ा. आनन-फानन में पुलिस ने घायल उपकार को गंभीर हालत में सिविल अस्पताल में एडमिट कराया. जानकारी के मुताबिक, नशे के चलते उपकार सिंह ने यह कदम उठाया था, लेकिन पुलिस की सक्रियता के चलते पूर्व मंत्री के बेटे की जान बच गई. पूर्व मंत्री राम लखन वर्मा का आवास हजरतगंज कोतवाली क्षेत्र के डालीबाग में है.
पहली बार जीता था जिला पंचायत का चुनाव
अंबेडकरनगर जिले की राजनीति में कभी राम लखन वर्मा का दबदबा था. वह जिले के जलालपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं. राम लखन वर्मा ने 1982 में राजनीति में कदम रखा था. पहली बार वह जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे. 1989 में वह पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बसपा से टिकट लिया और जीत दर्ज की.
राम लखन वर्मा 3 बार बने थे विधायक
फिर 1991 और 1993 का चुनाव भी उन्होंने जीता. जब बसपा के सहयोग से मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो उन्हें पंचायती राज मंत्री का पद दिया गया. बाद में ये गठबंधन टूट गया और फिर मायावती भाजपा के सहयोग से यूपी की मुख्यमंत्री बनीं. खास बात यह है कि मायावती के साथ शपथ लेने वालों में सिर्फ राम लखन वर्मा ही थे. मायावती और राम लखन वर्मा ने ही उस समय शपथ ली थी.
लगातार 3 चुनाव में मिली हार
बाद में राम लखन वर्मा बसपा से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. 1996 में उन्होंने सपा के टिकट पर अकबरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली. इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें 1999 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसदी का टिकट दिया. फिर भी वह चुनाव नहीं निकाल पाए. 2002 में उन्होंने फिर विधायकी का चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. तब से उनका राजनीतिक जीवन नेपथ्य में चला गया है.