रायपुर। लोकसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में जनजातियों के विकास के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों ने ताकत झोंक दी है। पीएम जनमन योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां सीधे मानिटरिंग कर रहे हैं। और आदिवासियों से वर्चुअल संवाद करके योजनाओं का फीडबैक ले रहे हैं।
पीएम जनमन योजना में प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति के विकास के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। इस राशि से प्रदेश के 33 में से 19 जिलों में आदिवासियों की बसाहट को मुख्य मार्ग से जोड़ा जाएगा।
कई योजनाएं शुरू करने की तैयारी में सीएम साय
केंद्र सरकार के अलावा प्रदेश के आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी विशेष पिछड़ी जनजाति के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू करने की तैयारी की है। इनमें जनजातियों के लिए चरण पादुका योजना से लेकर जनजाति समूह के विद्यार्थियों के लिए कवर्धा, गरियाबंद, कोरिया, बलरामपुर, सरगुजा, धमतरी, गोरेला-पेंड्रा-मरवाही, जशपुर और नारायणपुर में आवासीय विद्यार्थियों को अपग्रेड करने के लिए 13 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
पेयजल की अच्छी सुविधा जरूरी
इसके अलावा पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक और कन्या छात्रावासों की कायाकल्प की जाएगी। प्रदेश में रहे रहे बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, बैगा, कमार और अबूझमाड़िया लोगों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ देते हुए उनके लिए बिजली, पानी, सड़क और आवास की योजना बनी है। घास-फूस के घरों की जगह वे पक्के घरों में रह सकेंगे। पेयजल की अच्छी सुविधा होगी।
अभी अधिकांश विशेष पिछड़ी जनजाति की बस्तियों में पानी दूर से लाना होता है। कई बार इस जनजातीय समुदाय के लोग झिरिया आदि से पानी पीते हैं। अशुद्ध पेयजल की वजह से बीमारियां पनपती हैं।
पीएम जनमन योजना से तेजी से विकास
देश में पहली बार विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना बनाई गई। यह योजना प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु से शुरू की थी। छत्तीसगढ़ में इस योजना पर तेजी से क्रियान्वयन हो रहा है और मुख्यमंत्री साय इस पर सीधी नजर रख रहे हैं। बीते माह मुख्यमंत्री ने रायगढ़ जिले में बिरहोर बस्तियों का दौरा भी किया। उन्होंने यहां प्रधानमंत्री जनमन योजना के क्रियान्वयन की स्थिति देखी।
मुख्यमंत्री ने इन बस्तियों में रहने वाले लोगों से संवाद भी किया। इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को योजनाओं का लाभ मिलते रहे, इसके लिए लगातार कैंप लगाए जा रहे हैं। बस्तर और सरगुजा में विशेष फोकस जनमन योजना के माध्यम से न केवल बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं अपितु इनके लिए रोजगार के अवसर भी इसके माध्यम से सृजित किए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक सरगुजा और बस्तर की ओर फोकस की सरकार की नीति भी इन अवसरों को बढ़ाने की दिशा में काफी उपयोगी होगी। स्थानीय उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर इन जनजातियों के लिए रोजगार सृजन हो सकेगा। इन योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए जनमन मित्र तथा सखी विशेष रूप से उपयोगी साबित हुए हैं। वे घर-घर जाते हैं पीवीटीजी से उनकी भाषा में बात करते हैं। सरकार की योजनाओं की जानकारी देते हैं और फार्म भी भरवाते हैं। इसके बाद वे प्रशासनिक अधिकारियों के समन्वय से इन योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को देना सुनिश्चित कराते हैं।
आदिवासी मतदाताओं के प्रदेश में मायने
प्रदेश में विधानसभा सीट की बात करें तो कुल 90 में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में 16 सीट भाजपा, 12 कांग्रेस और एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को मिली है। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने एसटी के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 26 सीटों पर और भाजपा ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी।
बाद में उपचुनाव के बाद कांग्रेस के पास 27 सीटें हो गई है और भाजपा के पास दो सीटें ही बचीं थी। इसके पहले 2013 के चुनाव में 29 में से 18 सीटों पर जीत के बाद भी कांग्रेस सत्ता से दूर थी। जबकि भाजपा 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके पहले वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा ने 29 सीटों में से 19 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। तब कांग्रेस को इन सीटों में से केवल 10 सीटों पर ही जीत मिली थी।
लोकसभा चार सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित
लोकसभा की कुल 11 सीटों में से 4 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। बस्तर, कांकेर, रायगढ़ और सरगुजा लोकसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ बस्तर लोकसभा सीट में जीत दर्ज की थी जबकि तीन सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी।