पेट ही नहीं, जेब भरने का भी माध्यम बनी खेती

अलीगढ़। दृढ़ संकल्प के साथ कुछ करने का निर्णय लिया जाए तो समृद्धि के मार्ग खुल ही जाते हैं। गांव भवीगढ़ के किसान योगराज सिंह ने 10 साल पहले ऐसा ही प्रण लिया था। पिता पृथ्वीराज सिंह के दूध के कारोबार को न सिर्फ आकार दिया बल्कि, प्राकृतिक खेती शुरू कर स्वावलंबन का मार्ग भी प्रशस्त किया। 

यही नहीं, वर्मी कंपोस्ट की यूनिट स्थापित कर खाद का अपना ब्रांड बना लिया। गांव के 20-25 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। 100 बीघा में प्राकृतिक कर वह नवाचार तलाश रहे हैं। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जैविक उत्पाद व खाद की मार्केटिंग तो शुरू कर दी है, अब ई-मार्केट में धाक जमाने की तैयारी है।

अतरौली तहसील के छोटे से गांव भवीगढ़ में जन्मे योगराज सिंह ने दिल्ली के कान्वेंट स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की। अलीगढ़ में बीए एलएलबी कर प्रैक्टिस करने लगे। वे बताते हैं कि वकालत में मन नहीं लगा। खुद का व्यवसाय करने का निर्णय लिया। पिता डेयरी चलाते थे। तबेले में 10 गाय-भैंस थीं।

2014 में कामधेनु डेरी योजना की मदद से इस कारोबार का विस्तार किया। पर, अधिक लाभ नहीं मिला। फिर 100 बीघा में प्राकृतिक खेती शुरू की। अनाज के अलावा फल, सब्जियां भी उगानी शुरू कीं। सरकारी प्रोत्साहन से 2016 में वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित कर दी। 

यूनिट में हर साल एक हजार मीट्रिक टन खाद तैयार होता है, जो तनुषा ब्रांड से बिकता है। योगराज बताते हैं कि जैविक उत्पाद की मांग बाजार में अधिक रहती है। सामान्य गेहूं अगर 25 रुपये प्रति किलो है तो जैविक गेहूं 30 से 35 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है। यूनिट में तैयार हो रहा खाद ही फसलों में लगाया जाता है। पशुओं को जैविक चारा ही देते हैं, जिससे दूध की गुणवत्ता और मात्रा अधिक रहती है।

गोमूत्र से बनाया कीटनाशक

योगराज बताते हैं कि गोमूत्र से तैयार कीटनाशक से वह फसलों पर छिड़काव कराते हैं। यूनिट पर ही कीटनाशक तैयार होता है। एक बीघा फसल के लिए 12 लीटर जैविक कीटनाशक चाहिए हाेता है। 

इसके लिए आठ लीटर गोमूत्र में 500-500 ग्राम आक, काला नमक व जरमरी के पत्ते, 250-250 ग्राम लहसुन व गुड़, 100 ग्राम धतूरा, 50 ग्राम तंबाकू पाउडर, 20 ग्राम मिर्च आदि डालकर घाेल तैयार किया जाता है। 15-20 दिन तक मटके या प्लास्टिक के ड्रम में सड़ने के लिए छायादार स्थान पर रख देते हैं। तैयार होने पर कपड़े से छानकर स्प्रे मशीन से 15 दिन के अंतराल में फसलों पर छिड़काव किया जाता है।

ई-मार्केट में आएंगे जैविक उत्पाद

जैविक उत्पाद को ई-मार्केट में लाने की तैयारी योगराज सिंह ने कर ली है। वे बताते हैं कि अमेजन व माई स्टोर ई-मार्केट में जैविक उत्पाद उतारने के प्रयास चल रहे हैं। ई-मार्केट में चावल, गेहूं, बाजरा, सरसों के अलावा वर्मी कंपोस्ट भी उतारा जाएगा।

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