सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना में एक महिला अधिकारी को स्थायी कमीशन देने के लिए संविधान से हासिल आर्टिकल 142 का प्रयोग किया है. सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हम अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश देते हैं कि अपील करने वाली महिला अधिकारी को स्थायी कमीशन दिया जाए.
साथ ही, अदालत ने2014 के फैसले के बाद दूसरे सभी समान पद वाले उम्मीदवारों को समान लाभ देने की भी बात की है. अदालत ने कहा – हमारा मानना है कि उन्हें गलत तरीके से स्थायी कमीशन का लाभ नहीं दिया गया और 2014 का एएफटी फैसला उन पर लागू होता है.
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने और क्या कहा?
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने ये फैसला सुनाया. जस्टिस विश्वनाथान का कहना था, यह एक अच्छी तरह से स्थापित सिद्धांत है कि जब एक पीड़ित ने सरकार के आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और राहत हासिल की तो यह दूसरे लोगों पर भी लागू होगा, जो इसी तरह की मांग रखते हैं
अदालत ने कहा कि दूसरे पक्ष को फैसला खुद ही आगे बढ़ाना चाहिए था. साथ ही, उन सैनिकों के बारे में भी सोचा जाना चाहिए जो सियाचिन में हैं अदालत से सवाल किया कि क्या उन्हें ये बताना ठीक होगा कि यह फैसला उन पर लागू नहीं होगा?
क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 142?
संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को यह शक्ति देता है कि वह किसी पेंडिंग मामले में पूरी तरह न्याय करने के लिए किसी भी तरह का आदेश पारित कर सकती है अब ये अदालत के ऊपर है कि वह किसी मामले में किस चीज को पूर्ण न्याय समझती है
सर्वोच्च अदालत की ओर से अनुच्छेद 142 के तहत जारी किया जाने वाला आदेश समूचे देश में लागू होता है इस आदेश के संबंध में राष्ट्रपति की भी कुछ भूमिका है अगर संसद इस सिलसिले में कानून नहीं बनाती तो राष्ट्रपति इसे लागू करने का तरीका बता सकते हैं