पंडित जी शुभ मुहूर्त जानिए

जय कुमार उर्फ मोन्टू
इस्लामनगर
: विशेष योग में मनेगी कृष्ण जन्माष्टमी ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज से जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा बिधि
इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व बुधवार, ६ सितंबर २०२३ को बड़े ही धूम धाम से मनाया जायेगा इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है। जोकि बहुत ही दुर्लभ है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। ज्योतिषाचार्य राहुल भारद्वाज ने बताया कि भाद्रपद की अष्टमी तिथि के दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और इसलिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि बुधवार ६ सितंबर को दोपहर ३ बजकर ३७ मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन ७ सितंबर को शाम ४ बजकर १४ मिनट पर होगा। धर्म पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि के समय रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए इस साल कृष्ण जन्माष्टमी ६ सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह ९ बजकर २० मिनट पर रोहिणी नक्षण शुरू होगा जोकि अगले दिन ७ सितंबर को सुबह १० बजकर २५ मिनट पर समाप्त होगा। बता दें कि जन्माष्टमी का त्योहार आमतौर पर दो दिन मनाया जाता है। गृहस्थ लोग ६ सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे व वैष्णव संप्रदाय में ७ सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाया जाएगा।जाएगा। जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त रात्रि १२ बजकर ०२ मि० से लेकर १२ बजकर ४८ मि० तक रहेगा। इस मुहूर्त में लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना की जाती है। विधि-विधान से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि १२ बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसी मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले ६ सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे।

इस दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। व्रत करने से मिलेगी पाप-कष्टों से मिलती है मुक्ति
ज्योतिषाचार्य राहुल जी ने बताया कि, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग में पूजन का विशेष महत्व है। निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार, ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है। तो इस खास मौके को ऐसे ही गवाना नहीं चाहिए। अगर आप इस तरह के संयोग में व्रत करते हैं तो ३ जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि, इस तिथि और संयोग में भगवान कृष्ण का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। व्यक्ति को भगवत कृपा की प्राप्ति होती है। जो लोग कई जन्मों से प्रेत योनि में भटक रहे हो इस तिथि में उनके लिए पूजन करने से उन्हे मुक्ति मिल जाती है। इस संयोग में भगवान कृष्ण के पूजन से सिद्धि की प्राप्ति होगी तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

इस तरह करें जन्माष्टमी की पूजा

भगवान् श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापना के बाद उनकाे गाय के दूध और गंगाजल व पंचामृत स्नान व कृष्ण जी का पुरुसूक्त के द्वारा महाभिषेक करें। फिर उन्हें मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से उन्हें सुसज्जित करें। फूल, फल, खीरा माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि भी अर्पित करें।

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