नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी हरियाणा की जंग जीत चुकी है. अब अगला फोकस महाराष्ट्र और झारखंड पर है. महाराष्ट्र और झारखंड में फिर से कमल खिलाने के लिए पीएम मोदी और जेपी नड्डा ने सारा फॉर्मूला सेट कर दिया है. भाजपा का वह फॉर्मूला है- P2G2. भाजपा इन दोनों राज्यों में वही मॉडल अपनाने वाली है, जिससे हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हुई है. भाजपा अब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में हरियाणा मॉडल का प्रयोग करेगी. हरियाणा की तरह महाराष्ट्र और झारखंड में भी भाजपा P2G2 फॉर्मूले को ही अपनी जीत का हथियार बनाएगी. तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है P2G2 फॉर्मूला
दरअसल, महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव से ठीक पहले गुरुवार को चंडीगढ़ में एनडीए की एक अहम बैठक हुई. एनडीए की इस बैठक में पीएम मोदी, जेपी नड्डा समेत एनडीए के सभी सीनियर नेताओं और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया. एनडीए मीटिंग खत्म होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा और एनडीए के लोगों को ‘प्रो पीपल, प्रो गवर्नेंस- P2G2’ पर फोकस करना चाहिए. भाजपा का यह फॉर्मूला आम लोगों के प्रति सरकार के फोकस को दिखाता है. यह बैठक हरियाणा में नायब सिंह सैनी के शपथग्रहण समारोह के बाद हुई. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह भी मौजूद थे.
जेपी नड्डा ने बताया P2G2 फॉर्मूला
एनडीए की बैठक की डिटेल बताते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, ‘पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि सुशासन के जरिए लोगों की परेशानियां दूर होनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ‘प्रो-पीपल, प्रो-गवर्नेंस- P2G2’ पर फोकस करना चाहिए और इसे आगे बढ़ाना चाहिए. आज एनडीए शासित राज्यों के 17 सीएम और 18 डिप्टी सीएम ने हिस्सा लिया. मीटिंग में 6 प्रस्तावों पर चर्चा हुई और उन्हें पास किया गया. पहला प्रस्ताव महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने रखा. उन्होंने पीएम की नीतियों की वजह से हरियाणा में पार्टी की जीत का मुद्दा उठाया. बीजेपी को हरियाणा में किसानों, युवाओं और खिलाड़ियों का साथ मिला. इसके लिए पीएम का आभार जताया गया और प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया. दूसरा प्रस्ताव रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने रखा. उन्होंने 2025 में ‘संविधान का अमृत महोत्सव’ मनाने की बात कही.’
हरियाणा में भाजपा को कैसे मिला फायदा
भाजपा के ‘प्रो पीपल, प्रो गवर्नेंस’ के फॉर्मूले का असर हरियाणा में खूब दिखा था. हरियाणा में एंटी इन्कंबेंसी होते ही भी अगर भाजपा जीत दर्ज करने में सफल रही तो उसकी वजह है सरकार की योजनाएं. हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार ने अपनी योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाया. योजनाएं की प्लानिंग से लेकर क्रियान्वयण तक में आम लोगों का ख्याल रखा गया. इसका असर ही था कि भाजपा हरियाणा में हारते-हारते जीत गई. कांग्रेस ही नहीं, एग्जिट पोल को भी यकीन था कि भाजपा की हरियाणा में सरकार नहीं बनेगी. मगर भाजपा उस फॉर्मूले के दम पर जीत दर्ज करने में सफल रही. अब यही फॉर्मूला और हरियाणा मॉडल भाजपा महाराष्ट्र और झारखंड में दोहराना चाहती है.
महाराष्ट्र और झारखंड में काम आएगा यह फॉर्मूला?
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 तो झारखंड में 81 सीटें हैं. महाराष्ट्र की सत्ता में भाजपा, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ सत्ता में है. मगर लोकसभा चुनाव में महायुती के प्रदर्शन को देखते हुए पलड़ा महा विकास अघाड़ी का भारी लग रहा है. मगर हरियाणा रिजल्ट से उत्साहित भाजपा महाराष्ट्र में इसी फॉर्मूला के दम पर खेल करने की कोशिश में लगी है. वहीं, झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार पहली ऐसी गैर भाजपा सरकार है, जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. झारखंड में भी भाजपा कमल खिलाने की कोशिश में जुटेगी. अब देखने वाली बात है कि भाजपा का P2G2 फॉर्मूला सक्सेसफुल होता है नहीं. बता दें कि झारखंड में दो चरण में 13 नवंबर और 20 नवंबर को वोटिंग है तो महाराष्ट्र में एक चरण में 20 नवंबर को है. दोनों जगह नतीजे 23 नवंबर को ही आएंगे.