उप्र में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत एक आरोपित की जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणियों को हटाने का आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मुकदमे का सामना कर रहे एक आरोपित की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को हटाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपित की जमानत पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की टिप्पणी गैर जरूरी थी और इनका जमानत पर फैसले से कोई संबंध नहीं था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसले में की गई इन टिप्पणियों का हवाला किसी दूसरे केस में ना दिया जाए। दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपित कैलाश की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर धर्मांतरण कराने वाले धार्मिक समागमों को तुरंत नहीं रोका गया तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी। कैलाश पर हमीरपुर के एक गांव के कई लोगों के धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपित मई 2023 से हिरासत में है। ऐसे में वह आरोपित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे रहा है।

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