मनरेगा स्कीम के मद में बजट के आवंटन, जॉब कार्ड डिलीट किए जाने पर लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने कुछ तल्ख सवाल किए

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा में कहा कि पिछले चार साल में 10 करोड़ 43 लाख मनरेगा कामगारों के नाम डिलीट कर दिए गए हैं. वेणुगोपाल ने कुछ बरस के आंकड़े भी इस हवाले से दिए. जिनमें बताया गया कि 2021-22 में 1 करोड़ 49 लाख मनरेगा कामगारों के नाम हटाए गए. जबकि 2022-23 में ये संख्या ढाई गुना तक बढ़ गई.

केसी वेणुगोपाल के मुताबिक, 2022-23 में कुल 5 करोड़ 53 लाख मनरेगा के जॉब कार्ड्स डिलीट हुए. वेणुगोपाल ने साल दर साल इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने पर हैरानी जताई और केंद्र सरकार से कुछ तल्ख सवाल भी किए. वेणुगोपाल ने पूछा कि मनरेगा कामगारों के भुगतान के लिए आधार कार्ड को जरूरी किया जाना क्या इसकी प्रमुख वजह है?

वेणुगोपाल के अलावा, कांग्रेस सांसद शशीकांत सेंथिल, डीएमके सांसद टीआर. बालू और कुछ ने भी मनरेगा को आवंटित होने वाले बजट को लेकर सवाल किया. तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बैनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लिए मनरेगा के फंड को पिछले 3 साल से रोक दिया है. सरकार ने कहा कि फंड रोकने के पीछे की वजह अनियमितताएं हैं.

सरकार ने क्या जवाब दिया?
पहला – भारत सरकार की तरफ से लोकसभा में इस सवाल का जवाब केन्द्र सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री चन्द्रा एस. पेम्मासानी ने दिया. मंत्री ने बताया कि मनरेगा से जुड़े कामगारों के नाम काटने से जुड़ी प्रक्रिया में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है, ये राज्य सरकार का विषय है.

दूसरा – केन्द्र सरकार ने उस दावे को भी खारिज किया है जिसमें कहा जा रहा था कि मनरेगा के तहत काम कर रहे लोगों को मजदूरी देने के लिए आधार को जरूरी किए जाने से करोड़ों नाम कट गए.

तीसरा – सरकार ने बताया 5 चीजों के आधार पर जॉब कार्ड यानी किसी शख्स का नाम डिलीट किया जाता है. 1. फर्जी कार्ड, 2. नकली कार्ड, 3. लाभार्थी के एक पंचायत से दूसरे पंचायत चले जाने पर. 4. लाभार्थी के निधन पर, 5. अगर लाभार्थी काम करना न चाहे या जब उसका इलाका पंचायत के बजाय शहरी घोषित हो जाए.

चौथा – सरकार ने कहा कि मनरेगा के जॉब कार्ड से आधार को जोड़ने के पीछे की वजह पारदर्शिता लाना था और भ्रष्टाचार पर नकेल कसना था. इसका मकसद कहीं से भी रूकावट डालना नहीं था.

पांचवा – मनरेगा के मद में आवंटित होने वाले बजट में आने वाली कमी के आरोपों पर सरकार ने कहा कि चूंकि यह मांग आधारित स्कीम है. केन्द्र सरकार ने बजट आवंटन को तब बढ़ाया जब राज्य सरकारों ने इस लिहाज से अपनी मांगें रखीं.

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