देखते ही देखते नदी में समाया बिहार का एक और पुल

अररिया। सिकटी मे करोड़ों की लागत से बकरा नदी के पड़रिया घाट पर बना उद्घाटन से पूर्व ध्वस्त हो गया। सात करोड़ उनासी लाख साठ हजार रुपये की लागत से बने इस पुल का निर्माण पहले बने पुल की एप्रोच कट जाने के बाद कराया गया था।

पुल के निर्माण मे घटिया सामग्री के इस्तेमाल की बात लोगों द्वारा बताई गई है। हाल मे पुल की एप्रोच बहाल करने के लिए विभाग की विभाग की ओर कवायद शुरू की गई थी, लेकिन उससे पहले पुल ही ध्वस्त हो गया।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण योजना के तहत बने इस पल की लागत 7.79 करोड़ रुपये थी। 182 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था। 2022 तक में इसे बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जून 2023 में बनकर तैयार हुआ।

एप्रोच रोड न होने के कारण बंद थी आवाजाही
पुल के दोनों और पहुंच पथ नहीं होने के कारण इस पर आवागमन नहीं हो रहा था। ग्रामीणों ने कुल निर्माण में अनियमितता का आरोप लगाया है। ग्रामीणों की मानें तो पिछले दो दिनों से पुल के स्लैब में दरार दिख रही थी। मंगलवार को अचानक से भरभराकर पुल गिर गया।

यह प्रोजेक्‍ट केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय से वित्त पोषित है। जिसका निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग के अंर्तर्गत पड़ोसी जिला किशनगंज के ठेकेदार सिराजुर्रहमान ने कराया है। विभाग के इंजीनियर और ठेकेदार से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया जा रहा है।

पि‍छले साल भी गिरे थे पुल
बिहार में पुल गिरने का इतिहास पुराना है। पिछले साल जून में भागलपुर-खगड़ि‍या को जोड़ने वाला नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्‍ट अगुवानी-सुल्‍तानगंज ध्‍वस्‍त हो गया था। इसका निर्माण एसपी सिंगला ने किया था। बाद में कंपनी ने अपने खर्चे पर नए सिरे से इसका निर्माण कर रही है।

वहीं, पिछले साल सि‍तंबर में बांका के बेलहर प्रखंड में जिलानीपथ के खेसर-तारापुर मुख्य सड़क के लोहागर नदी पर बहोरना गांव के पास बना पुल पानी के तेज बहाव के कारण धंस गया था। इससे 50 से अधिक गांवों के लोगों का आवागमन का रास्‍ता बंद हो गया था।

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